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चित्त और मन
स्वास्थ्य है । डॉक्टर सबसे पहले देखता है कि रक्त में श्वेत कण कितने हैं और लाल कण कितने हैं ? लाल कण का कम होना अस्वास्थ्य का द्योतक हैं । लाल रंग प्रतिरोधात्मक शक्ति का प्रतीक है । वह बाहर से आने वाले प्रभाव को रोकता है, भीतर नहीं आने देता। लाल रंग में यह क्षमता है कि वह व्यक्ति बाह्य जगत से अन्तर्जगत् में ले जा सकता है । जब तक कृष्ण, नील और कापोत लेश्या काम करती है, तब तक व्यक्ति अन्तर्मखी नहीं हो सकता, आध्यात्मिक नहीं हो सकता, अन्तर्जगत् की यात्रा नहीं कर सकता। वह आन्तरिक सुखों का अनुभव नहीं कर सकता। प्रेक्षा-ध्यान की प्रक्रिया में आन्तरिक सूक्ष्म स्पंदनों का अनुभव करना सिखाया जाता है। मन जब सूक्ष्म होता है, तब वह सूक्ष्म कंपनों को पकड़ने में सक्षम हो जाता है। तीसरी बात है- रंगों का अनुभव करना । जब तेजस्-शरीर के साथ हमारा संपर्क स्थापित होता है, तब रंग दिखने लग जाते हैं। जब हम दर्शन केन्द्र को सक्रिय करते हैं तब बाल-सूर्य का लाल रंग दिखने लग जाता है। उस समय व्यक्ति को कितनी आनन्दानुभूति होती है, बताई नहीं जा सकती। उस आनन्द का प्रत्यक्ष अनुभव करने वाला ही उसे जान सकता है, वह उसे बता नहीं सकता। इस लाल रंग के अनुभव से, तेजो-लेश्या के स्पंदनों की अनुभूति से अन्तर्जगत् की यात्रा प्रारम्भ होती है। लाल रंग नाड़ी-संस्थान और रक्त को सक्रिय बनाता है। जब हम दर्शन-केन्द्र पर लाल रंग का ध्यान प्रारम्भ करते हैं और जब वह ध्यान सधता है, तब आदतों में परिवर्तन आना प्रारम्भ हो जाता है। कृष्ण, नील और कापोत-लेश्या के काले रंगों से होने वाली आदतें तेजो-लेश्या के प्रकाशमय लाल रंग से समाप्त होने लगती हैं, अचानक स्वभाव में परिवर्तन आता है। पद्म लेश्या : शुक्ल लेश्या
... पद्म-लेश्या का रंग पीला है। यह रंग बहुत शक्तिशाली होता है। यह रंग गर्मी पैदा करने वाला है। लाल रंग भी गर्मी पैदा करता है। उत्क्रमण की सारी प्रक्रिया गर्मी बढ़ाने की प्रक्रिया है । तेजो-लेश्या में भी गर्मी बढ़ती है, पद्म-लेश्या में भी गर्मी बढ़ती है और जब वह गर्मी पूरी मात्रा में बढ़ जाती है, चरम शिखर को छू लेती है और गर्मी बड़ने का अवकाश नहीं रहता तब शुक्ल-लेश्या के द्वारा गर्मी का उपशमन करते हैं और तब निर्वाण घटित हो जाता है।
शारीरिक दृष्टि से पीला रंग मस्तिष्क और नाड़ी-संस्थान को बल देता है । जिस बच्चे की बुद्धि और स्मृति-शक्ति कमजोर हो, मस्तिष्क कमजोर हो, उसे यदि पीले रंग के कमरे में रखा जाए तो उसमें परिवर्तन आना शुरू हो जाता है । जो व्यक्ति दस मिनट तक मस्तिष्क में पीले रंग का ध्यान करता
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