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हरा रंग
जब व्यक्ति में भावनात्मक गड़बड़ी होती है तब हरे रंग की किरणें मस्तिष्क पर डालकर चिकित्सा की जाती है । उत्पादन, आशा और नवजीवन का प्रतीक वर्ण है । और अंध विश्वास का सूचक भी है।
यह शक्ति, यौवन, साथ-साथ यह ईर्ष्या-द्वेष
अनुभव,
नीला रंग
भावनात्मक स्थितियों में यह हरे रंग से अधिक लाभदायक होता है । यह ध्यान और आध्यात्मिक विकास का सूचक है । यह मन को शान्त करता है, विशुद्धि चक्र को सक्रिय करता है। यह व्यक्ति को स्वार्थीपन से दूर हटाकर सामाजिक बनाता है और उसे पारिपाश्विक वातावरण के अनुकूल बनाता है ।
चित्त और मन
यह रंग सत्य, समर्पण, शांति, प्रामाणिकता और प्रातिभज्ञान का सूचक वर्ण है । जामुनी रंग
यह वर्ण सूक्ष्म शरीरों की आन्तरिक विद्युत् को तथा सहस्रार चक्र को नियंत्रित करता है । यह भौतिक, भावनात्मक तथा आध्यात्मिक स्तर पर दृष्टि, श्रवण और सुगन्ध की शक्ति को प्रभावित करता है ।
बैंगनी रंग
हिंसात्मक पागलपन से छुटकारा पाने के लिए यह वर्ण बहुत उपयोगी है । यह प्रेरणादायक और अत्यधिक भूख पर नियन्त्रण स्थापित करने में सहयोग देता है । यह स्वास्थ्य का प्रतीक वर्ण है, स्वाधिष्ठान चक्र को संयमित करता है । कुछ विद्वान् मानने हैं कि बैंगनी प्रकाश में ध्यान दस गुना अच्छा होता है । अंधे कांच से बैंगनी प्रकाश डाला जाए तो ध्यान-शक्ति में विकास होता है ।
रंग का मनोवैज्ञानिक प्रभाव
काला रंग मनुष्य में असंयम, हिंसा और क्रूरता का विचार उत्पन्न करता है ।
नीला रंग मनुष्य में ईर्ष्या, असहिष्णुता, रस- लोलुपता और आसक्ति का भाव उत्पन्न करता है ।
कापोत रंग मनुष्य में वक्रता, कुटिलता और दृष्टिकोण का विपर्यास उत्पन्न करता है ।
अरुण रंग मनुष्य में ऋजुता, विनम्रता और धर्म-प्रेम उत्पन्न करता
पीला रंग मनुष्य में शांति, क्रोध - मान-माया और लोभ की अल्पता व
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