________________
रंगों का मन पर प्रभाव
५७
शिकायतें प्रारम्भ हो गयीं।
रंग के कारण क्रोध बढ़ता भी है और कम भी होता है । अमुक-अमुक चैतन्य केन्द्रों पर श्वेत रंग का ध्यान करने पर क्रोध कम हो जाता है ।
____ एक बहन ने कहा-मेरी थायरायड ग्रंथि बहुत सक्रिय है । वह उससे बहुत परेशान थी। उसे ब्लू रंग का ध्यान कराया गया। थायराइड सक्रियता कम हुई। बहन की परेशानी भी कम हो गई। हमारे शरीर में जितने ग्लंण्ड्स हैं, जितने चैतन्य केन्द्र हैं, उन सबका अपना रंग है । शरीर के प्रत्येक वलय का अपना रंग है । ये सारे रंग प्रभावित करते हैं।
नीले रंग के प्रयोग से शांति का अनुभव होता है। हरे रंग में रोग मिटाने की अपूर्व क्षमता होती है। वह विष के प्रभाव को मिटाने में शक्तिशाली साधन है। हरा रंग ठंडा होता है। जिसकी पिच्यूटरी ग्लैण्ड कमजोर हो जाती है, उसके लिए हरा रंग चमत्कारी होता है।
इस प्रकार हमारे शरीर के साथ, बीमारियों और भावों के साथ रंगों का बहुत गहरा सम्बन्ध है। मंत्रशास्त्र और रंग
____ मंत्रशास्त्र में भी रंगों पर गहराई से विचार किया गया है। मंत्रों के "जितने कल्प हैं, उनके साथ रंगों का सम्बन्ध है। ओंकारकल्प, ह्रींकल्प, अहंकल्प, नमस्कार-महामंत्रकल्प-- सबके साथ रंग जुड़े हुए हैं। नमस्कार महामंत्र के पांच पद हैं और उनका ध्यान भिन्न-भिन्न चैतन्य केन्द्रों पर किया जाता है
णमो अरहंताणं-इसका चैतन्यकेन्द्र है—-शांतिकेन्द्र, रंग है श्वेत । णमो सिद्धाणं- इसका चैतन्यकेन्द्र है-दर्शनकेन्द्र, रंग है लाल । णमो आयरियाणं-इसका चैतन्यकेन्द्र है--विशुद्धिकेन्द्र, रंग है पीला। णमो उवज्झायाणं-इसका चैतन्यकेन्द्र है-आनन्दकेन्द्र, रंग है हरा। णमो लोए सव्वसाहूणं-इसका चैतन्यकेन्द्र है-- तेजस्केन्द्र, रंग है नीला।
इन पांच पदों का उनसे सम्बन्धित चैतन्यकेन्द्रों पर उन-उन रंगों के साथ यदि जाप और ध्यान किया जाए तो बहुत लाभ हो सकता है।
० शांति और पवित्रता के लिए श्वेत रंग प्रभावशाली होता है। ० सक्रियता और स्फूर्ति के लिए लाल रंग प्रभावशाली होता है। यह रंग शक्ति और स्फूर्ति का संचार करता है, आलस्य और अकर्मण्यता को पूर करता है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org