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________________ चित्त और मन रंग प्रत्येक वृत्ति के गणधर गौतम ने भगवान महावीर से पूछा-भन्ते ! हिंसा, झूठ, चोरी, अब्रह्मचर्य, परिग्रह, मान, माया और लोभ-इनमें रंग होते हैं ? भगवान ने कहा-इनमें पांचों रंग होते हैं। क्रोध, अहंकार, हिंसा और झूठ का अपना-अपना रंग होता है। जब आदमी झठ बोलता है तब ध्यान से देखने पर पता लग जाता है कि उसके चेहरे का रंग काला पड़ गया है। सत्यनिष्ठ व्यक्ति के चेहरे में आभा आ जाएगी। इस प्रकार सबका रंग होता है और वे रंग प्रभाव डालते हैं। लेश्या सिद्धांत का एक नियम है कि जैसा भाव होता है, वैसा ही रंग बन जाता है। जैसा रंग होता है, वैसा ही भाव बन जाता है। दोनों में गहरा सम्बन्ध है। इसी के आधार पर कृष्ण लेश्या, नील लेश्या, कापोत लेश्या, तेजस् लेश्या, पद्मलेश्या और शुक्ल लेश्या-ये छह लेश्याएं हैं। छह ही प्रकार के मनोभाव हैं और उनके रंग हैं। रंग और मनोभाव रंग दो प्रकार के होते हैं-गहरा रंग और हल्का रंग। हल्का लाल रंग अध्यात्म का रंग है। यह अध्यात्म की चेतना के जागरण का द्वार है । जिस व्यक्ति का लाल रंग जागृत होता है, उसमें आध्यात्मिक चेतना जागती है। जिसमें यह रंग जागृत नहीं होता, उसमें अध्यात्म का जागरण नहीं होता । साधना करते-करते जब अरुण रंग जागता है, तब अपार आनन्द की अनुभूति होती है। उसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती। इस प्रकार जब श्वेत रंग के स्पन्दन जागते हैं, तब अपूर्व आनन्द की अनुभूति होने लगती है । हमारे व्यक्तित्व, विचारों और मनोभावों के साथ रंगों का गहरा सम्बन्ध है। हम किस रंग से पुते हुए कमरों में रहते हैं, किस प्रकार के रंग का भोजन करते हैं, इन सबका हमारे विचारों पर प्रभाव पड़ता है । न्यायालय में न्यायाधीश काले-नीले रंग का कोट पहनते हैं। वकील भी काले रंग का कोट पहनते हैं। सर्दी में लोग काले-नीले रंग के कपड़े पहनते हैं, कंबल ओढ़ते हैं । गर्मी में सफेद कपड़े पहनते हैं। इन सबका कारण है। काले रंग में प्रतिरोधात्मक शक्ति होती है। वह बाहर की वस्तु को आत्मसात् नहीं करता, बाहर ही रोक देता है। सफेद रंग में पारदर्शिता की शक्ति होती रंग के प्रयोग :: गर्मी के मौसम में णमो सिद्धाणं' का प्रयोग चल रहा था। उसका रंग है लाल । दर्शन केन्द्र पर उसका प्रयोग कराया गया। सभी साधक उस में तन्मय बने, लाल रंग से गमी का प्रकोप बढ़ा और अनेक प्रकार की Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003056
Book TitleChitt aur Man
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages374
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size16 MB
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