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________________ विचार और ध्यान विचार का चक्र भी चलता रहता है । वह सतत गतिशील रहता है, रुकता नहीं। एक के बाद दूसरा विचार आता रहता है । विचार में स्मृति और कल्पना-दोनों का योग होता है। विचार का काम है स्मृतियों और कल्पनाओं को लेकर आगे बढ़ना। जब हम ध्यान काल में कल्पना और स्मृति पर नियंत्रण स्थापित कर लेते हैं तब विचार भी नियंत्रित हो जाते हैं । विचार कैसे चल पाएगा? उसे आहार ही प्राप्त नहीं हो रहा है । विचार का आहार है-स्मृति और कल्पना । जब आहार बंद हो गया तो विचार भी रुक जाएगा, विचार का नियमन हो जाएगा। विचार का नियमन होना मन पर तीसरी विजय है। मन की तीन अवस्थाएं स्मृति का नियमन, कल्पना का नियमन और विचार का नियमनइसका तात्पर्य है मन पर विजय पाना, मन को जीतना। ये तीनों मानसिक क्रियाएं हैं। मन के स्वरूप को समझने के लिए इन तीनों को समझना आवश्यक है । जब तक स्मृति, कल्पना, विचार या चिन्तन को नहीं समझा जाता तब तक ध्यान की वस्तु-स्थिति को भी नहीं समझा जा सकता। मन की तीन अवस्थाएं हैं-विक्षेप, एकाग्रता और अमन । विक्षेप का अर्थ है मन का सतत विचरण, एक विषय से दूसरे विषय पर यातायात । इस अवस्था में स्मृतियों, कल्पनाओं और विचारों का सतत विचरण होता रहता है। चक्र चलता रहता है । एक स्मृति के बाद दूसरी स्मृति, एक कल्पना के बाद दूसरी कल्पना और एक विचार के बाद दूसरा विचार-यह क्रम चलता रहता है। यह विक्षेपावस्था की स्थिति है। दूसरे शब्दों में इसे अति चंचल अवस्था कहा जा सकता है। एकाग्र और अमन __ मन की दूसरी अवस्था है-एकाग्रता । एकाग्रता का अर्थ है --एक स्मृति पर टिके रहना, एक कल्पना या विचार पर स्थिर रहना, एक ही विषय का चिन्तन करते रहना। मन की तीसरी अवस्था है-अमन । लोग स्थिरता को मन की तीसरी अवस्था मानते हैं। यह भ्रान्त मान्यता है। मन की प्रकृति ही है चंचलता। उसमें स्थिरता कैसे आएगी । इसीलिए मन को अमन बनाना, यह तीसरी अवस्था हो सकती है। अमन का अर्थ है-मन को उत्पन्न ही नहीं होने देना । मन स्थाई तत्त्व नहीं है। वह उत्पन्न होता है और विनष्ट हो जाता है। जब व्यक्ति स्मृति, कल्पना और विचार से मुक्त होता है, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003056
Book TitleChitt aur Man
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages374
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size16 MB
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