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चित्त और मन
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हिंसक और बेईमान हो जाता है । उसके मन में बुराई की भावना जागती है, हिंसा की बात उभरती है, आत्महत्या के विचार आते हैं, चोरी करने की भावना जागृत होती है। गृहस्थ में ही नहीं, साधु-संन्यासी में भी ऐसा परिवर्तन होता है । जब वह ध्यान की गहराइयों में जाता है तब संस्कार उभरते हैं। और परिणाम स्वरूप ये सारी वृत्तियां जाग जाती हैं । तब स्वयं के मन में इन वृत्तियों के प्रति ग्लानि होती है । वह सोचता है— अरे, यह क्या ? मैंने कभी इन निम्न वृत्तियों को पोषण दिया ही नहीं, फिर ये क्यों उभर रही हैं ? ये वृत्तियां इसीलिए उभरती हैं कि उनके मूल संस्कार चेतना की गहराई में दबे होते हैं । ध्यान से वे जब छेड़े जाते हैं तब विपरीत भावनाएं आती हैं और व्यक्ति को बदल देती हैं । ध्यान भीतर तक पहुंचने वाली प्रक्रिया है । वह अवचेतन मन को झंकृत करने वाली और उसका शोधन करने वाली प्रक्रिया है । उस पर जो मैल जमा हुआ है, उस पर जो दोष जमे हुए हैं, वहां सस्कार की परते गहरी जमी हुई हैं, उनको उखाड़ना, उखाड़ना और इतना उखाड़ देना कि पूरी धुलाई हो जाए । यह ब्रेनवाशिंग की प्रक्रिया भी नहीं है । मस्तिष्क की धुलाई भी ऊपर की बात है । यह पूरे ग्रंथितंत्र की धुलाई की बात है, जहां से सारे व्यवहार और आचार की प्रेरणाएं मनुष्य को उपलब्ध हो रही हैं ।
अर्द्धचेतन मन
हमारे शरीर में जितनी भी ग्रंथियां हैं, ग्लेंडस हैं, वे सब अर्द्धचेतन मन हैं, सब कोन्शियस् माइंड हैं । सारा ग्रन्थितन्त्र अर्द्धचेतन मन है । यह मस्तिष्क को भी प्रभावित करता है । यह ग्रन्थितंत्र मस्तिष्क से भी अधिक मूल्यवान् है । इसे हमें जागृत करना है । यदि इसे सही साधनों के द्वारा जागृत करते हैं तो भय से मुक्ति मिलती है । भय से मुक्त होने का अर्थ है सारी बाधाओं से मुक्त होना । शरीर शास्त्र अभी यह बताने में समर्थ नहीं है कि ग्रन्थियों की जागृति के सही साधन क्या हैं । अध्यात्म के पास इसका उत्तर है और यह उत्तर प्रयोगात्मक है |
जागरण की प्रक्रिया
श्वास- प्रेक्षा, शरीर प्रेक्षा, आत्म-प्रेक्षा, लेश्याओं का ग्रन्थियों को सक्रिय करने के साधन हैं। हम चैतन्य केन्द्रों ध्यान करें, वे सक्रिय होंगे । ज्यों-ज्यों हम उन पर अधिक अधिक सक्रिय होते जाएंगे । उनकी सक्रियता से भय समाप्त होगा, आवेग समाप्त होंगे, सब कुछ समाप्त हो जाएगा। एक नया आयाम खुलेगा । नया आनन्द, नई स्फूर्ति, नया उल्लास प्राप्त होगा ।
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ध्यान – ये सब (ग्रन्थियों) पर केन्द्रित होंगे, वे
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