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चित्त और मन
शक्ति का विकास करें। शक्ति का प्रयोग लेश्या को बदलने में करें। शक्ति के विकास और उसके सही प्रयोग के लिए लेश्या का बदलना जरूरी है। लेश्यातन्त्र को बदले बिना न शक्ति का विकास किया जा सकता है और न शक्ति का सम्यक् उपयोग किया जा सकता है । लेश्यातंत्र : बदलने की प्राक्रिया
लेश्या-तन्त्र को बदलने की एक प्रक्रिया है। सबसे पहले हम चेतना का उपयोग करें। हम सम्यक-दृष्टि से यह विवेक करें कि अमुक भाव व्यक्तित्व के लिए अहितकर है। निराशा का भाव, शक्ति को क्षय करने का भाव और अकर्मण्यता का भाव जागता है तो वह व्यक्ति को नीचे बिठा देता है। व्यक्ति को जीवित ही मृत बना देता है। चेतना का पहला काम है कि व्यक्ति यह भाव करे-'मैं निराशावादी नहीं बनूंगा, हतोत्साह नहीं होऊंगा, अपने हाथों और पैरों को निष्क्रिय नहीं बनाऊंगा, अपनी क्षमता का उपयोग करूंगा। आशा रखूगा, उत्साह रखूगा, अपने लक्ष्य तक पहुंचने का प्रयास करूंगा।' जब यह भाव बन जाए तब इस भाव को आकार देने के लिए हम अपनी संकल्पशक्ति का उपयोग करें। इस स्थिति में ही लेश्या को बदलने का सूत्र हस्तगत हो सकता है। भाव और विचार
___ जब भाव शुद्ध नहीं होगा तब विचार शुद्ध नहीं होंगे, शरीर शुद्ध नहीं होगा। हम विचारों की इतनी चिन्ता न करें। विचार की चिन्ता मनोवैज्ञानिक बहुत करते हैं किन्तु अध्यात्म का साधक सबसे पहले भाव की चिन्ता करता है, लेश्या की चिन्ता करता है। भाव और विचार दो बातें हैं, दोनों भिन्न हैं । भाव का सम्बन्ध है कषाय के स्पन्दनों से और विचार का सम्बन्ध है मस्तिष्क के आवरणों से । हमारे सूक्ष्म-शरीर के अन्दर दो प्रकार के स्पन्दन समानान्तर रेखा में चलते हैं। एक है मोह का स्पन्दन और दूसरा है मोह के विलय का स्पन्दन । दोनों स्पन्दन चलते हैं और वे भाव बनते हैं। कषाय जितना क्षीण होगा, मोह का स्पन्दन उतना ही निर्वीर्य बन जाएगा, शक्तिशून्य और निष्क्रिय बन जाएगा। वह समाप्त नहीं होगा किन्तु उसकी सक्रियता कम हो जाएगी। उसका प्रभाव क्षीण हो जाएगा । जब मोह के विलय का स्पन्दन शक्तिशाली होगा तब भाव मंगलमय और कल्याणकारी होंगे । जब-जब कषाय के स्पन्दन कम होते हैं तब-तब तेजो-लेश्या, पद्म-लेश्या और शुक्ल-लेश्या के स्पन्दन तथा भाव शक्तिशाली बनते जाएंगे। जब-जब मोह के स्पन्दन शक्तिशाली होते हैं, नील और कापोत-लेश्या के स्पन्दन शक्तिशाली होते हैं तब-तब तेजो-लेश्या और पद्म-लेश्या के स्पन्दन क्षीण हो जाते हैं। दो धाराएं हैं । एक ओर तीन काली लेश्याएं हैं। एक ओर तीन
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