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लेश्या और भाव
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प्रकाशमय लेश्याएं हैं। रंग विज्ञान
महावीर ने कहा-'तीन लेश्याएं प्रशस्त हैं और तीन लेश्याएं अप्रशस्त हैं। तीन लेश्याएं रूखी हैं और तीन लेश्याएं चिकनी हैं। तीन लेश्याएं ठण्डी हैं और तीन लेश्याएं गर्म हैं।' कितना महत्त्वपूर्ण सूत्र है भावों को समझने का। आज क रंग विज्ञान में इसका संभावी सूत्र हमें उपलब्ध हो जाता है। एक महत्त्वपूर्ण पुस्तक है-'कलर थेरापी'। उसमें कलर के दो डिवीजन किए गए हैं । एक है लाइट कलर और दूसरा है डार्क कलर । फीका रंग और गहरा रंग। एक है गर्म रंग और दूसरा है ठण्डा रंग। वलय है ठोस । रंग की चार छायाएं होती हैं। गर्म रंग और प्रकाशमय छाया, गर्म रंग और अन्धकारमय छाया, प्रकाश ठण्डा और अन्धकार गर्म । हमारी तीन लेश्याएं ठण्डी और रूखी होती है । काला रंग, नीला रंग और कापोती रंगये तीनों रंग और तीनों रंगों की लेश्याएं ठण्डी, रूखी होती हैं। जब व्यक्ति के मन में इन लेश्याओं के स्पन्दन जागते हैं तब उसमें हिंसा, झूठ, चोरी, ईर्ष्या शोक, घृणा और भय के भाव जागते हैं। वे रंग इन भावों को उत्पन्न करते हैं। काला रंग भय का निर्माण करता है । जब-जब काले रंग के स्पन्दन जागते हैं तब-तब व्यक्ति के मन में अनायास ही भय की अनुभूति होने लगती है, भय के भाव का निर्माण हो जाता है। भाव निर्मल बने
तेजो-लेश्या, पद्म-लेश्या और शुक्ल-लेश्या-ये तीन लेश्याएं गर्म और चिकनी हैं। जब इनके स्पन्दन जागते हैं तब व्यक्ति के भाव निर्मल बनते हैं। अभय, मैत्री, शान्ति, जितेन्द्रियता, क्षमा आदि पवित्र भावों का निर्माण होता है। जब भाव पवित्र होते हैं, निर्मल होते हैं तब विचार भी निर्मल होते हैं। विचारों का सम्बन्ध कषाय से नहीं है । विचारों का सम्बन्ध है मस्तिष्क से और ज्ञान से। विचार, स्मृति, चिन्तन, विश्लेषण, चयन, निर्धारण-ये ज्ञान की जितनी शाखाएं हैं, इन सबका सम्बन्ध मस्तिष्क से है । जितने भाव हैं उन सबका सम्बन्ध हमारी अन्तःस्रावी ग्रन्थियों से है। शरीर में दो तन्त्र हैं उनकी अभिव्यक्ति के । एक है ग्रन्थि-तन्त्र और दूसरा है नाड़ी-तन्त्र । एक है मस्तिष्क
और एक है पृष्ठरज्जु । हमारे भावों को व्यक्त करता है ग्रन्थि-तन्त्र और विचारों का निर्माण करता है नाड़ी-तन्त्र । पहला है भाव, दूसरा है विचार । विचार से भाव नहीं बनता किन्तु भाव से विचार बनता है । जिस लेश्या का भाव होता है, वैसा ही विचार बन जाता है । भाव अन्तरंग-तन्त्र है और विचार कर्म-तन्त्र है। यह करने वाला तन्त्र है भाव । इसलिए हमें विचारों
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