________________
चित्त और मन
व्यवस्था में उच्छृखलता बढ़ती है । उस उछृखलता के दुष्परिणाम भी आते हैं, आए हैं । आज एक छोटे बच्चे के मन में भी यह भावना बन गईइच्छा को रोकना नहीं चाहिए, उसे भोग लेना चाहिए, पूरा कर लेना चाहिए । इच्छा को पूरा करना भी एक समस्या है। इच्छा पूर्ति का अर्थ
इच्छा को पूरा करने का अर्थ है-अचेतन इच्छा को और अधिक बलवान बना देना, सशक्त बना देना। जिस इच्छा को भोगा, उस इच्छा का हमारा अभ्यास हो गया। जिसका अभ्यास हो जाता है, उसको टालना बहुत मुश्किल होता है । हम नए घर में जाएं, सीढ़ियों पर चढ़े या सीढ़ियों पर से उतरें, हमें सावधानी बरतनी पड़ती है। क्योंकि हम उन सीढ़ियों से परिचित नहीं हैं। उन पर चढ़ने और उतरने का अभ्यास नहीं है पर पांच-सात दिन चढ़ते रहें और उतरते रहें तो स्नायुओं को अभ्यास हो जाता है । उसके बाद घबराने की आवश्यकता नहीं होती। चाहे आंख मूंदकर सीढ़ियों पर चढ़ जाएं और चाहे उतर जाएं, कोई खतरा नहीं होता । आदमी की बात को छोड़ दें। कोई बैल गाड़ी के जुता हुआ है, दस कोश जाना है। एक दिन, दो दिन, दस दिन जिस रास्ते से गए और उसी रास्ते से वापस आएं। इस स्थिति में बैल को हांकने की कोई जरूरत नहीं होती। उसे हांकने वाला मजे से सो जाता है, बैल अपने आप मार्ग पर चलता जाता है। कहां रुकना और कहां मुड़ना, वह अपने आप जान लेता है। यह होता है स्नायविक अभ्यास । इच्छा को पूरा करने का अर्थ है-एक स्नायविक आदत को डाल देना। संदर्भ ब्रह्मचर्य का
___ कुछ मानसशास्त्रियों का मत है कि ब्रह्मचर्य इच्छाओं का दमन है और इच्छाओं का दमन करने से आदमी पागल बनता है। उनकी दृष्टि में ब्रह्मचर्य निषेधात्मक प्रवृत्ति है। इसलिए उसकी उपादेयता में उन्हें विश्वास नहीं है।
____ भारतीय चिन्तन इससे भिन्न रहा है। भारतीय मनीषी ब्रह्मचर्य को सृजनात्मक शक्ति मानते हैं। उसमें निषेध केवल बाह्य उद्दीपनों का है। वह आन्तरिक चेतना के विकास और मुक्ति का सर्वाधिक प्रभावशाली साधन है, इसलिए उसकी सृजनात्मक शक्ति बहुत व्यापक है।
योग के आचार्यों ने हमारे शरीर में सात चक्र माने हैं। उनमें दूसरे चक्र का नाम स्वाधिष्ठान है। यह काम-चक्र है। यह चक्र विकसित नहीं होता तब मनुष्य वासना में रस लेता है। इस चक्र को हम विशुद्ध-चक्र (कण्ठ-मणि) से संपृक्त कर देते हैं, तब हमारी आनन्दानुभूति का स्रोत बदल
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org