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आधि : व्याधि : उपाधि
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बड़प्पन की भावना
- मानसिक विकृतियों की कुछ धाराओं में एक है बड़प्पन की भावना का प्रदर्शन । प्रत्येक मनुष्य अपने आपको बड़ा दिखाना चाहता है । उसमें उसे बड़ा संतोष मिलता है । वह सोचता है--- 'मैं बड़ा हूं और सब छोटे हैं । मुझे लोग बड़ा माने और दूसरों को छोटा माने । मुझे लोग बड़ा अनुभव करें और दूसरों को छोटा अनुभव करें।' यह बड़प्पन के प्रदर्शन की भावना, अपने आप को बड़ा दिखाने की भावना, मानसिक विकृति है। सचाई कुछ भी नहीं है, केवल विकृति है। जिसका मन पागल होता है, उसमें यह विकृति पैदा होती है। दुनिया में ऐसे व्यक्ति विरल हैं, जिनमें यह पागलपन न हो। आक्रमण की भावना
मन की एक विकृति है-आक्रमण की भावना । मनुष्य में आक्रमण की भावना होती है, दूसरे के स्वत्व को हड़पने की भावना होती है । वह उसे छीनकर अपने अधिकार में लेना चाहता है। आक्रमण की भावना एक पागलपन है । जब-जब मनुष्य में पागलपन बढ़ा है तब-तब आक्रमण की भावना भी बढ़ी है । कुछ ऐसे सम्राट् या शासक हुए हैं जिन्होंने विश्व-विजेता बनने का स्वप्न लिया था। उन्होंने विश्व-विजय के लिए प्रयत्न किए। वे उसके लिए चले। उन्हें मिला कुछ भी नहीं और जो कुछ मिला, वह भी उनके पास नहीं टिका। केवल मानसिक स्वप्न की तृप्तिमात्र हुई। उन्होंने मान लिया कि वे विश्व-विजेता हो गए। एक व्यक्ति का पागलपन लाखों-करोड़ों व्यक्तियों की हत्या का हेतु बन जाता है। एक व्यक्ति का पागलपन विश्व के समस्त व्यक्तियों के सुखों को छीनने का हेतु बन जाता है । मनुष्य का पागलपन
जब-जब महायुद्ध हुए, विश्व दु:खी और अशांत बना। वह आर्थिक दृष्टि से दरिद्र बना, उसका अपार वैभव नष्ट हुआ। लाखों आदमी मरे, लाखों पत्नियां रोती-बिलखती रह गई। लाखों बच्चे अनाथ हो गए। विश्व को अनगिन कठिनाइयां झेलनी पड़ीं। यदि हम इसके कारण की खोज करें तो हमें पता चलेगा-केवल दो-चार व्यक्तियों का पागलपन इस विनाश-लीला के लिए जिम्मेवार है । आदमी के पागलपन के सिवाय इसका दूसरा कोई बड़ा कारण नहीं खोजा जा सकता। यह सच है कि बड़े कारण को लेकर कोई बड़ा युद्ध होता ही नहीं। हमेशा छोटी बात के लिए लड़ाई होती है और वह छोटी बात मूल कारण नहीं होती। उस लड़ाई के पीछे कारण होता हैमनुष्य का पागलपन । यह है अपने राष्ट्र को सबसे बड़ा बनाना या मानना । यह है अपने आपको विश्व-विजेता के रूप में प्रस्तुत करना। इसी पागलपन ने रक्तरंजित इतिहास का निर्माण किया है ।
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