________________
मन का विलय
प्रदेश पर हाथ नहीं रख सकता ?
महावीर ने उत्तर दिया--- गोतम ! शरीर चंचल है । केवली हो जाने पर भी शरीर की चंचलता नहीं मिटती है । शारीरिक चंचलता के - कारण वह केवली दूसरी बार उसी आकाश प्रदेश पर हाथ नहीं रख सकता । कुछ-न-कुछ अन्तर आ जाएगा, आकाश-प्रदेश बदल जाएंगे ।
दूसरी दिशा
केवली भी तरंगानीत स्थिति में नहीं है । हम यह कल्पना न करें कि दो-चार घंटे की ध्यान की स्थिति से तरंगातीत अवस्था प्राप्त हो जाती है। जब व्यक्ति शैलेशी अवस्था को प्राप्त होता है, चौदहवें गुणस्थान में पहुंच जाता है, अयोगी बन जाता है तब उसे तरंगातीत अवस्था प्राप्त हो जाती है । यह मोक्ष की निकटस्थ अवस्था है । आत्मा वैभाविक पर्यायों से सर्वथा मुक्त होकर अप्रकम्प हो जाता है । अप्रकम्प दशा की यात्रा हमारा लक्ष्य है | यह लंबी यात्रा है । इस दशा तक हमें पहुंचना है | ध्यान उसका माध्यम है | हम तरंगों में जी रहे हैं । ध्यानकाल में भी तरंगें आती हैं, विकल्प उठते हैं । इससे निराश या खिन्न नहीं होना है । यदि दो-चार क्षणों तक भी तरंग न आए, विकल्प न उठे तो यह तरंगातीत अवस्था की क्षणिक प्राप्ति है । यह भी महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है । इस जगत् में जीने वाले गुरुत्वाकर्षण के घेरे में बंधे होते हैं । यदि कोई व्यक्ति किसी अभ्यास के द्वारा गुरुत्वाकर्षण से हटकर हल्केपन का अनुभव करता है तो मानना चाहिए कि बह एक नयी यात्रा पर चल रहा है । हम तरंगों के घेरे में बैठे हैं, तरंगों में जी रहे हैं, तरंगों में श्वास ले रहे । इस तरंगित जगत् में यदि २-४ मिनट भी निस्तरंगता का अनुभव करते हैं तो वह नई दिशा की ओर प्रस्थान है । प्रश्न मन को रोकने का
२२७ :
एक प्रश्न होता है - मन को कैसे रोकें ? मन कैसे करें ? हमें एक सचाई को समझना है । मन और ये दो बातें कैसे संभव हो सकती हैं ? हवा चल रही है। मकान पर झंडा फहरा रहा है । वह हवा के सहारे हिल रहा है। हवा चलती रहे और झंडा न हिले - यह कैसे संभव हो सकता है ? बर्फ गिर रही है । उसके योग से हवा ठंडी चल रही है । हम चाहें कि बर्फ गिरती रहे पर हवा ठंडी न रहे, गरम हो जाए, यह कैसे संभव हो सकता है ? बर्फ गिरेगी तब हवा ठंडी हो जाएगी । गर्मी का प्रकोप होगा, हवा गरम हो जाएगी। हम हवा को गरम या ठंडी होने से नहीं रोक सकेंगे ।
मन की तीन अवस्थाएं
Jain Education International
मन के संदर्भ में दो स्थितियां हैं - एक मन और दूसरा अमन | मन
For Private & Personal Use Only
अशान्त है, उसे शान्त
उसको रोकना
www.jainelibrary.org