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कर्मशास्त्र और मनोविज्ञान
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कोई भी आदमी पाप का फल पाना नहीं चाहता। सभी पुण्य का फल पाना चाहते हैं इसलिए उस प्रक्रिया की जिज्ञासा होना स्वाभाविक है ।
उसको प्रक्रिया के तीन घटक हैं-मन, मस्तिष्क और चित्त । इन तीनों को प्रशिक्षित करना होता है । मन और मस्तिष्क --- दो हैं। यह आज की वैज्ञानिक धारणा से बहुत स्पष्ट हो गमः । विज्ञान की भाषा में ब्रेन अलग है और माइंड अलग है। दोनों स्वतंत्र हैं किन्तु दर्शन की भाषा में चित्त तत्त्व को भी जोड़ना होगा। मन, मस्तिष्क और चित्त--ये तीनों स्वतन्त्र हैं। जिस व्यक्ति ने चित्त को अनुशासित कर डाला, उसका मस्तिष्क अनुशासित होगा, मन अनुशासित होगा और वह व्यक्ति स्थितप्रज्ञ या समाधिस्थ कहलाएगा। यदि मस्तिष्क मन और चित्त पर हावी हो जाता है तो व्यक्ति शैतान बन जाता है। देव और दानव में इतना ही अन्तर है। प्रत्येक व्यक्ति देव बन सकता है। प्रत्येक व्यक्ति दानव बन सकता है। जिस व्यक्ति ने मस्तिष्क, मन और चित्त पर अनुशासन स्थापित कर डाला, वह देव बन जाता है और जिस व्यक्ति के मस्तिष्क का मन और चित्त पर अनुशासन स्थापित हो जाता है, वह दानव बन जाता है। ध्यान के द्वारा मस्तिष्क को प्रशिक्षित करने का प्रयास किया जाता है। मस्तिष्क, मन और चित्त पर स्वामित्व स्थापित जाता किया है। मनुष्य की दो श्रेणियां
__ जब मस्तिष्क स्वामी बनता है तब व्यक्ति को अनेक कठिनाइयों का बोझ ढोना पड़ता है। जब चित्त मस्तिष्क और मन पर अपना अधिकार जमाता है तब स्थिति बदल जाती है । व्यक्ति-व्यक्ति में इतना ही तो अन्तर है । व्यक्ति-व्यक्ति में रूप, रंग, आकार-प्रकार का अन्तर इतना महत्त्वपूर्ण नहीं होता। व्यक्ति की वैयक्तिक विशेषता इस बात पर निर्भर करती है कि कोन व्यक्ति मन के सहारे चलता है, मन का अनुशासन मानता है, मस्तिष्क के अधीन रहता है और कौन व्यक्ति मन और मस्तिष्क को अपने अधीन रखकर चलता है, उन पर अनुशासन करता है।
मनुष्यों को दो श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है। एक श्रेणी उन मनुष्यों की है, जो मन के अनुशासन में चलते हैं। दूसरी श्रेणी उन मनुष्यों की है, जो मन और मस्तिष्क को अपने अनुशासन में चलाते हैं । रेटीकुलर फॉरमेशन
___ मस्तिष्क-विज्ञान की खोजों से कुछ महत्त्वपूर्ण सूचनाएं अभी-अभी प्राप्त हुई हैं। उनके अनुसार मस्तिष्क का जो रेटीकुलर फॉरमेशन-तांत्रिक जाल है, वह उम न्यूरोन्स से बना है, जहां भय, क्रोध, लालसा आदि भाव जन्म लेते हैं और वह रेटीकुलर फॉरमेशन उन भावों का नियंत्रण भी करता है ।
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