________________
मन का कायाकल्प
आराधना का कुटीर
___ मैंने पहली शर्त रखी कि तुम्हें कायाकल्प के लिए एक कुटीर बनाना होगा । वह होगा आराधना का कुटीर । कायाकल्प के लिए आवश्यक है कि व्यक्ति शहरी हवा से बचे, बाहरी प्रकाश से बचे और सभी प्रदूषणों से बचे । पुराने जमाने में जब इतना बचाव किया जाता था तो आज तो इन सबसे बचना अत्यन्त आवश्यक हो गया है। आज की हवा भी शुद्ध नहीं है । आज का प्रकाश भी शुद्ध नहीं है । सारा पर्यावरण प्रदूषणों से भरा पड़ा है। उद्योगीकरण के प्रतिफलन हमारे सामने हैं।
उद्योगीकरण के द्वारा न केवल वायुमंडल दूषित हो रहा है, न केवल पानी दूषित हो रहा है किन्तु मनुष्य का मन भी दूषित हो रहा है। मन इतना तनावग्रस्त हो रहा है कि एक प्रकार से वह टूट रहा है। उसमें सहन करने की क्षमता नष्ट हो चुकी है। प्रदूषण से बचाव
प्रदूषण के जमाने में मन का टूटना बहुत स्वाभाविक है। पुराने जमाने में कहा जाता था—प्रातःकाल सूर्य की रश्मियों का सेवन करना चाहिए। बालसूर्य की किरणों में विटामिन 'डी' अधिक होता है। और भी अनेक लाभ होते हैं। आज वे किरणे खतरनाक बन गई हैं । आज सारे वायुमंडल में अणु धूलि तथा रेडियम के इतने विकिरण हैं कि प्रातःकालीन सूर्य की किरणों का सेवन करना भी खतरे से खाली नहीं है। किरणें बीमारियां मिटाती हैं तो केन्सर जैसे भयंकर रोग भी उत्पन्न करती हैं। जहां शारीरिक दृष्टि से भी प्रदूषण से इतना बचाव जरूरी है तो जहां मन का कायाकल्प करता होता है वहां प्रदूषण है बचने की अत्यन्त आवश्यकता हो जाती है।
मैंने कायाकल्प के इच्छुक व्यक्ति से कहा-तुम ऐसा कुटीर बनाओ, आराधना का कुटीर बनाओ, जिसमें बाहर की हवा भी न लगे, बाहर का प्रकाश और प्रदूषण भी न पहुंचे । इन सबकी पहुंच से परे हो वह कुटीर। पंचकर्म की अनिवार्यता
। दूसरी शर्त है-तुम्हें पंचकर्म करना होगा । कायाकल्प करने के लिए पंचकर्म जरूरी है। पंचकर्म की एक व्यवस्थित पद्धति है। वे पांच कर्म हैंवमन, विरेचन, निरूहण, वस्तिकर्म और स्नेहन । तुम्हें मन का कायाकल्प करने के लिए पंचकर्म करना होगा । पंचकर्म पद्धति की पांचों क्रियाओं से गुजरना बहुत कठिन बात है। मैं स्वयं पंचकर्म से गुजरा हूं। मुझे उसकी कठिनाइयां ज्ञात हैं।
उसने कहा-आप मुझे इतना कठिन कोर्स दे रहे हैं। क्या आपको
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org