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मन का कायाकल्प
स्वभाव को बदला जा सकता है, यह सचाई है । इतना रूपान्तरण किया जा सकता है कि आदमी का पूरा व्यक्तित्व ही बदल जाता है । अनेक घटनाएं हैं, उदाहरण हैं । अनेक डाकू संत बन गए और अनेक संत डाकू बन गए । केवल बुरा स्वभाव ही नहीं बदलता, अच्छा स्वभाव भी बदलता है । बुरा स्वभाव अच्छे स्वभाव में और अच्छा स्वभाव बुरे स्वभाव में बदल जाता है । दोनों में परिवर्तन होता है । परिवर्तन क्यों होता है, इस पर भी हमें विचार कर लेना चाहिए । परिवर्तन का एक कारण है—भोजन । जब भोजन असंतुलित होता है तब आदतें बिगड़ जाती हैं । एक आदमी बहुत चिड़चिड़े स्वभाव का है । मनोचिकित्सक चिकित्सा से पूर्व उसके भोजन पर ध्यान देगा । वह जानता है कि जब भोजन में विटामिन 'ए' की कमी होती है तब स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है । पोषक तत्त्वों का संतुलन नहीं होता है तो स्वभाव बदल जाता है । भोजन का असंतुलन, पोषक तत्त्वों की कमी स्वभाव परिवर्तन का एक कारण है ।
रंग और स्वभाव
एक क्रोधी व्यक्ति यदि सूर्य रश्मि - चिकित्सक के पास जाएगा तो वह सबसे पहले इस बात पर ध्यान देगा कि इस व्यक्ति में किस रंग की कमी हुई है, जिससे इसमें क्रोध बढ़ा है । वह विश्लेषण करके जान लेगा कि इसमें नीले रंग की कमी हुई है, इसीलिए इसका स्वभाव उत्तेजनापूर्ण है । इसमें लाल रंग की मात्रा बड़ी है इसीलिए क्रोध बढ़ा है । वह चिकित्सक लाल रंग को घटाता है नीले रंग को बढ़ाता है और उस व्यक्ति का क्रोध कम हो जाता है । उसमें परिवर्तन घटित हो जाता है । रग- चिकित्सा ( कलर थेरोपी) में दो रंग गर्म माने माने जाते हैं-लाल और पीला | दो रंग ठंडे माने जाते हैं। - नीला (ब्लू) और हरा ।
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आयुर्वेद : स्वभाव परिवर्तन की प्रक्रिया
आयुर्वेद में कहा गया- जब व्यक्ति में पित्त का प्रकोप होता है तब क्रोध का प्रकोप बढ़ जाता है । कफ का प्रकोप होता है तो लोभ बढ़ जाता है । अपान वायु दूषित होता है तो भी क्रोध बढ़ जाता है । ये रासायनिक परिवर्तन स्वभाव में बदलाव लाते हैं । क्रोधी व्यक्ति को पित्तशामक औषधि
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