SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 156
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १४० चित्त और मन इस संतुलन का महत्त्वपूर्ण प्रयोग है-समवृत्ति श्वास-प्रेक्षा । संतुलन का सूत्र संतुलन लाने के लिए चन्द्र और सूर्य-दोनों की साधना करनी होती चंदेसु निम्मलयरा, आइच्चेसु अहियं पयासयरा । सागरवरगंभीरा, सिद्धा सिद्धि मम दिसंतु ।। इसमें सिद्ध की स्तुति की गई है । परमात्मा चन्द्रमा की भांति निर्मल होता है, सूर्य की भांति प्रकाश देने वाला होता है, समुद्र की तरह गंभीर होता है। यह है परमात्मा का स्वभाव, परमात्मा की प्रकृति । चांद का उपयोग निर्मलता के लिए तथा सूर्य का उपयोग प्रकाश के लिए होता है । इससे जीवन में समता आती है। जहां चांद का प्रयोग नहीं, सूर्य का प्रयोग नहीं, वहां संतुलन नहीं आता, समता नहीं आती। परिवर्तन की प्रक्रिया हमारे मन का संबंध चन्द्रमा से है। चन्द्रमा का मन पर असर होता है। चन्द्रमा के द्वारा जैसे समुद्र में ज्वार भाटा आता है वैसे ही चन्द्रमा के द्वारा मन में भी ज्वारभाटा आता है। कुछ विशेष दिन होते हैं जब मनुष्य को चन्द्रमा बहुत प्रभावित करता है। चन्द्रमा का बहुत गहरा संबंध हैमन से । जहां मन को शांत करने की, मन को विकल्पशून्य करने की, मन को अमन करने की साधना होती है वहां प्रारंभ में चन्द्रस्वर का प्रयोग शुरू किया जाता है और जहां प्राणशक्ति को तीव्र करने की प्रक्रिया होती है, वहां सूर्यस्वर के द्वारा प्रयोग किया जाता है। चन्द्रमा और सूर्य-इन दोनों की साधना के बिना हमारे जीवन में संतुलन नहीं आता, समता नहीं आती। परिवर्तन की प्रक्रिया में बहुत बड़ा महत्त्व है-चन्द्र-सूर्य का। बायां स्वर निर्मलता का प्रतीक है दायां स्वर सक्रियता और प्रकाश का प्रतीक है । जिस व्यक्ति ने अपने श्वास को नहीं समझा, श्वास को नहीं साधा, वह जीवन में परिवर्तन नहीं ला सकता। परिवर्तन करने की बहुत बड़ी प्रक्रिया है-श्वास का अनुभव। आवेश का प्रश्न प्रश्न उभरता है-दूसरे व्यक्ति के आवेश को देखकर एक शान्त व्यक्ति को मूड़ बिगड़ जाता है। क्या यह स्वाभाविक नहीं है ? आवेश के प्रति आवेश यों नहीं आएगा ? क्या कोई नियामक तत्त्व है कि आवेश की स्थिति में मावेश न आए, व्यक्ति का मूड न बिगड़े ? अप्रिय परिस्थिति और घटना होने पर अप्रिय व्यवहार न हो, इसका नियामक सूत्र कौन सा है ! यह प्रश्न अत्यन्त महत्त्व का है। जिस व्यक्ति ने नियामक सूत्र की साधना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003056
Book TitleChitt aur Man
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages374
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy