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चित्त और मन मंत्र शक्ति का प्रभाव
__ मंत्र की आराधना के द्वारा, मंत्र चिकित्सा के द्वारा मन को स्वस्थ बनाया जा सकता है। मन को स्वस्थ बनाने का पहला उपाय है-मन को सुन्दर विकल्प देना, उसे एक विधायक मार्ग दे देना, मन के भटकाव को सीमित कर देना।
मुनि सुदर्शन भगवान् पार्श्व की परंपरा के शक्ति संपन्न मुनि थे। एक कापालिक अपनी महाशक्ति के द्वारा उन्हें भस्म कर देना चाहता था। उसने शक्ति का प्रयोग किया। मुनि सुदर्शन को शक्ति का भान हो गया। वे तत्काल कायोत्सर्ग में स्थित हो गए। उन्होंने अपनी पवित्र लेश्या और जागरूकता के द्वारा अपने आभामंडल को इतना शक्तिशाली बना दिया कि वह महाशक्ति उस आभा-वलय को भेद कर मुनि सुदर्शन तक नहीं पहुंच सकी। उसने लौटकर प्रयोक्ता को ही जला डाला।
जब अप्रमाद और वीतरागभाव जागृत होता है तब कोई भी व्यक्ति सता नहीं सकता।
मंत्र मन के संक्लेशों को दूर करने का बहुत बड़ा माध्यम है। इसीलिए मानसिक स्वास्थ्य के लिए यह चिकित्सा बन जाता है। जब हम अर्हत् का ध्यान करते हैं तब मन के संक्लेश दूर होते हैं । जब हम अर्हत् का अपने में अनुभव करते हैं जो शरीर का कण-कण वज्रमय बनने लग जाता है, एक वज्रमय कवच तैयार हो जाता है। प्राण का महत्त्व
____ मंत्र साधना में प्राण का बहुत बड़ा महत्त्व है। जब तक हम प्राणशक्ति को नहीं समझते तब तक मंत्र की वास्तविकता भी हमारी समझ में नहीं आ सकती। हमारा समूचा जीवन-तंत्र प्राणशक्ति के द्वारा संचालित होता है। तैजस शरीर प्राणशक्ति या जैविक विद्युत् का बड़ा खजाना है । शरीर के सभी मुख्य केन्द्र मस्तिष्क में हैं। ये सक्रिय होते हैं प्राण के द्वारा। प्राण सूर्य की उष्मा को लेता है और चक्षु को सक्रिय बनाता है । समान प्राणधारा मन को सक्रिय बनाती है। अपान प्राणधारा हमारे समूचे शक्ति-तंत्र को सक्रिय बनाती है । शक्ति का मुख्य स्थान है—अपान का स्थान, नाभि से शक्ति केन्द्र तक का स्थान । व्यान प्राण हमारी श्रोतृ-शक्ति को सक्रिय बनाता है। उदान प्राण कंठ से ऊपर की शारी शक्ति को सक्रिय करता है। मानसिक स्वास्थ्य के मानदंड
नमस्कार महामंत्र का संदर्भ लें।
नमस्कार महामन्त्र की आराधना जब प्राणशक्ति के साथ जुड़ जाती है तब हमारा मन इतना स्वस्थ होता है कि सामान्यतः उस स्वास्थ्य की परि
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