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मन की समस्या और तनाव
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है तो इस दुनिया में कैसे जीवित रहा जा सकता है ? क्या आदमी निरन्तर उदास ही रहे ? उदासी के पारिवारिक सदस्य भी अनेक हैं-खिन्नता, अवसाद, आत्महत्या का भाव आना, घर से पलायन करने की बात सोचना आदि-आदि । ये सारे निषेधात्मक भावों के उपजीवी हैं।
नकारात्मक भाव मन में न आएं, इसका अभ्यास किया जा सकता है। प्रातःकाल व्यक्ति यह संकल्प लेकर उठे कि आज निषेधात्मक भावों को न आने दूंगा। विधायक भाव में रहूंगा। धीरे-धीरे इन नकारात्मक भावों से मुक्ति मिल जाएगी।
मादक द्रव्यों का सेवन भी उदासी लाता है। तम्बाक, भांग, चरस, मदिरा-इनके सेवन से भी उदासी आती है। सारा शरीर शिथिल हो जाता है। यदि उदासी से बचना है तो मादक द्रव्यों का सेवन वर्जित करना होगा। आग्रह
__ मानसिक असंतुलन का एक कारण है-आग्रह । आग्रह बहुत असंतुलन पैदा करता है । हम सूक्ष्मता से ध्यान दें तो पता चलेगा कि पारिवारिक कठिनाइयों में जिद्द की प्रकृति सबसे ज्यादा तकलीफ देती है। एक बात पकड़ ली, बस अब नहीं छोड़ेंगे। समूचे परिवार में कलह का वातावरण बन जाता है। घर में दीवारें खिंच जाती हैं, कई चूल्हें जल जाते हैं। चूल्हें जल जाएं, दीवारें खिंच जाएं, कोई बड़ी बात नहीं, किंतु कटुता के कारण बाप और बेटा दस-दस वर्ष तक मिलते नहीं। बाप दूसरे व्यक्ति के आने पर हंस-हंस कर बात करता है, किंतु लड़के के सामने आने पर आखें घुमा लेता है, चेहरा घुमा लेता है और अकस्मात् ही सामने आ जाए तो आंखों में गर्मी उतर जाती है । बड़ी अजीब स्थिति होती है। इसमें आग्रह का बहुत बड़ा योग होता है । पक्षपात
मानसिक असंतुलन का एक कारण है-पक्षपात । पक्षपात भी कम कारण नहीं है । यह अपना संतुलन भी बिगाड़ता है और सामने वाले का संतुलन भी बिगाड़ता है। ये शिकायतें भी बहुत आती हैं कि मैं पिता का विनीत था और अभी हूं किंतु पिता ने ऐसा पक्षपात किया-बड़े भाई को तो सारा धन दे दिया और मुझे अंगूठा दिखा दिया। बड़े भाई के प्रति छोटे भाई का, मां के प्रति लड़के का और सौतेली मां हो तो फिर कहना ही क्या ! यह पक्षपात का भी एक बड़ा प्रश्न है। मालिक का भी अपने कर्मचारी के प्रति पक्षपात। इस पक्षपात के कारण मानसिक संतुलन गड़बड़ा जाता है।
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