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चित्त और मन
नींद तो प्राकृतिक
नींद प्राकृतिक काम
कुछ भी नहीं है । नींद लेने के लिए दवा क्यों चाहिए ? है, स्वाभाविक है । आदमी सहज भाव से नींद लेता है । है । ये प्राकृतिक स्थितियां हमारी विकृत जीवन प्रणाली के कारण इतनी गड़बड़ा गई कि खाने के लिए भी, पचाने के लिए और नींद लाने के लिए भी दवाइयां चाहिए |
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एक भाई ने कहा- पहले मैं नींद की एक गोली लेता था । बाद में उसका असर कम हो गया, दो लेने लग गया और धीरे-धीरे पांच-छह गोलियां लेने लग गया । अब कोरा जहर भर रहा हूं पेट में गोलियां विषैली और नशीली होती हैं । पर उपाय क्या, गोली लिए बिना नींद आती ही नहीं है । विवशता हो गई, गोली लेनी ही पड़ती है ।
आज के वैज्ञानिक विद्युत् के झटके देकर वीमार व्यक्ति को नींद दिलाते हैं । पचीस मिनट की नींद से व्यक्ति को छह घंटे की नींद जैसा विश्राम महसूस होता है । यदि आधा घंटा कायोत्सर्ग किया जाए तो दो-तीन घंटे नींद की पूर्ति हो जाए । कायोत्सर्ग से जितनी भारहीनता की अनुभूति होती है उतनी नींद से भी नहीं होता ।
वर्तमान जीवन प्रणाली का परिणाम
हाई ब्लड प्रेशर, उच्च रक्तचाप आदि बीमारियां वर्तमान जीवन प्रणाली का एक परिणाम है । पुराने जमाने के वैद्य तो इस बीमारी को कम जानते थे । यह होती भी कम ही थी । नहीं होती ऐसी बात तो नहीं । यक्ष्मा, उच्च रक्तचाप और हृदय की बीमारी - ये कुछ बड़े लोगों की बीमारियां थीं । आज तो जन साधारण की बीमारी बन गई। हो सकता है कि जब सत्ता जन साधारण के हाथ में आ गई तो बीमारी भी पीछे क्यों रहे । यह भी अपना अधिकार चाहती है । जब राजतंत्र से सत्ता सरक कर आम आदमी के हाथ में आ गई तो बीमारी क्यों पीछे रहना चाहेगी ? उसने भी अपना अधिकार ले लिया और जन साधारण के साथ जुड़ गई । विश्वव्यापी बीमारी
जयपुर मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल ने कहा- रक्तचाप की बीमारी का समाधान मिल जाए तो आज की दुनिया को बहुत बड़ा समाधान मिल जाता है । आज की यह विश्वव्यापी बीमारी है । हृदय रोग, हार्ट ट्रबल और हार्ट अटैक - यह भी जीवन प्रणाली से बहुत संबंधित है। जहां जल्द -- बाजी है वहां हृदय पर बहुत प्रभाव पड़ता है । जहां व्यस्तता है वहां हृदय पर बहुत प्रभाव पड़ता है । हृदय अपनी गति से चलता है । वह इतना व्यस्त नहीं है । वह आठ घंटा काम करता है और सोलह घंटे विश्राम करता है । क्या हम भी करते हैं ऐसा ? हृदय एक सेकेंड धड़केगा तो दो सेकेंड विश्रामः
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