________________
मन की समस्या और तनाव
१०५
का दरवाजा बंद कर दें, चिन्तन बंद कर दें। मन शांत हो जाएगा। अधीरता
आदमी मानसिक दृष्टि से बड़ा अस्त-व्यस्त है। उसका एक कारण है-जल्दबाजी। मनुष्य में धृति नहीं है। वह प्रतीक्षा करना नहीं जानता। इतनी जल्दबाजी कि काम अभी होना चाहिए, मिनट की भी देरी नहीं होनी चाहिए। आज व्यक्ति किसी साधु के पास जाए, किसी आफीसर के पास जाए, कहीं भी जाए, वह कहेगा-जो लेना हो ले लो, पर मेरा काम हो जाना चाहिए। वह डाक्टर से कहेगा-ऐसी दवा दो कि अभी स्वस्थ हो जाऊं । अगर १० मिनट की भी देरी हो जाती है तो डाक्टर बदलने की बात आ जाती है। यह जल्दबाजी और अधीरता तनाव का बहुत बड़ा कारण बनती है। असहिष्णुता
तनाव का एक कारण सहिष्णुता की कमी है। एक छोटा बच्चा भी सहन करना नहीं जानता। लगता है- आज जन्मचूंटी ही असहिष्णुता की मिल रही है। वह न मां-बाप की बात को सहन करता है, न अध्यापक की बात को सहन करता है और न किसी पड़ोसी की बात को सहन करता है। कितना अच्छा हो कि आज उलाहना देने, कुछ कहने और सीख देने की बात समाप्त कर दी जाए। कोई किसी पर अनुशासन न करे, किसी को उलाहना न दे। किसी को कुछ कहे ही नहीं। जिसके जैसा मन में आए, वैसा करे । इस स्थिति में ही आज का व्यक्ति मान सकता है --पूरा रामराज चल रहा है। जहां उलाहने की बात आती है वहां सिरदर्द पैदा हो जाता है।
यह सहिष्णुता की कमी आज की जीवन प्रणाली की बड़ी समस्या है और उसका एक परिणाम है-मानसिक असंतुलन । संतुलन बहुत गड़बड़ा गया । यदि परीक्षा की जाए तो आज का छोटा बच्चा भी मानसिक दृष्टि से संतुलित नहीं है । बहुत असंतुलन है।
दूसरा परिणाम है—पाचन-तंत्र की गड़बड़ी। पाचन-तंत्र बहुत विकृत हुआ है। पुराने आदमी काफी पचा लेते थे। आज पाचन की शक्ति नहीं रही। अनिद्रा
तीसरा परिणाम है-नींद की गड़बड़ी। आज की जीवन प्रणाली की देन है अनिद्रा की बीमारी। आदमी बहुत ग्रस्त है अनिद्रा की बीमारी से । पाश्चात्य देशों में यह बीमारी बड़ी भयंकर है। अरबों-खरबों की दवाइयां केवल नींद के लिए ही चल रही हैं। आहार को पचाने के लिए और नींद को लाने के लिए जितने रुपए की दवाइयां चलती हैं उतने में एक राज्य का पूरा बजट बन जाता है। इतनी दवाइयां चल रही हैं और प्रयोजन
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org