SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 108
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चित्त और मन ६२ द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव के आधार पर ही वस्तु सत्य तक पहुंचा जा सकता है । क्षेत्र का अपना प्रभाव होता है, अपनी तरंगें होती हैं । नेपाल से एक तांत्रिक लाडनूं आया। उसने जैन विश्व भारती में 'तुलसी अध्यात्म नीडम्' की भूमि को देखा, ध्यान किया, कुछ दिन रहा । उसने कहा- मेरी दृष्टि में पांच सौ चार सौ वर्ष पूर्व यह भूमि साधना की भूमि रही है । यहां अनेक - ऋषि-मुनि तपे हैं। यहां आते ही मन शुभ भावनाएं करने लगता है, चिन्तन प्रशस्त और शुभ होता है । यहां ध्यान भी गहरा जमता है ।' प्रभावों की दुनिया क्षेत्र का प्रभाव मन को प्रभावित करता है । यह बात बहुत सूक्ष्म है । सामान्य व्यक्ति इसको समझ ही नहीं पाता । पर क्षेत्र और काल को समझे बिना किसी भी समस्या को सुलझाया नहीं जा सकता। वैज्ञानिक युग में जीने वाला व्यक्ति यह जानता है कि हमारा यह आकाश - मण्डल तरंगों और ऊर्मियों से भरा पड़ा है । इसमें अनन्त वाइब्रेशन्स हैं । यह सूक्ष्म और सूक्ष्मतर कणों से भरा है और वे सारे कण आदमी को प्रभावित करते हैं । सौर मंडल से आने वाले विकिरण, भूमि पर होने वाले प्रकंपन, पर्यावरण में होने वाले प्रकंपन -- ये सारे मनुष्य को प्रभावित करते हैं, उसके मन को प्रभावित करते हैं । मन पर उन सभी प्रकंपनों का प्रभाव है, क्षेत्र की तरंगों का प्रभाव है । वे प्रकंपन भावधारा को प्रभावित करते हैं । भावधारा बोझ डालती है मन पर ! सौरमण्डल और मन ज्योतिर्विज्ञान में किसी आदमी की कुंडली देखी जाती है तो मन का स्थान चन्द्रमा से देखा जाता है । चन्द्र कैसा है ? चन्द्रमा अच्छा है कुण्डली में तो इसका मन बहुत शान्त रहेगा, स्वच्छ रहेगा । चन्द्रमा अच्छा नहीं है। तो पागल बनेगा, यह भविष्यवाणी करने में कोई कठिनाई नहीं है । चन्द्रमा के स्थान के अधार पर मन की यह मीमांसा की जा सकती है । हमारे शरीर में जल का हिस्सा बहुत बड़ा है। यह शरीर ठोस लग रहा है पर ठोस कहां है ? पानी ही पानी | सत्तर-अस्सी प्रतिशत तो हमारे शरीर में पानी है । और भाग तो बहुत थोड़ा है। पानी का चन्द्रमा के साथ संबंध है । समुद्र के ज्वार भाटे के साथ चन्द्रमा का संबंध है । हमारे मन और शरीर का भी चन्द्रमा के साथ संबंध है । मन का ज्वार-भाटा भी चन्द्रमा के साथ आता है । केवल समुद्र में ही नहीं, मन में भी ज्वार-भाटा आता रहता है । अमावस्या और पूर्णिमा ज्वार-भाटे के दिन हैं। बहुत अन्वेषणों के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया कि हत्याएं, अपराध, हिंसा, उपद्रव, आत्म Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003056
Book TitleChitt aur Man
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages374
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy