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चित्त और मन
जीवन में समता घटित हो जाती है । जब वैराग्य और समता आती है, प्रसन्नता प्राप्त हो जाती है, चित्त की निर्मलता प्राप्त हो जाती है । चित्त में वैराग्य का अंकुर फूटा, समता का अंकुर फूटा तो चित्त में प्रसन्नता का अंकुर फूट जाएगा । वैराग्य के बिना, समता के बिना प्रसन्नता नहीं हो सकती । हर्ष एक बात है, प्रसन्नता दूसरी बात है । धन मिला, बड़ा हर्ष हो गया । प्रिय वस्तु का योग मिला बड़ा हर्ष हुआ । हर्ष का दूसरा पहलू है शोक । जहाँ हर्ष होगा, वहां शोक भी होगा। एक ओर से हर्ष झांक रहा है तो दूसरी ओर से शोक झांक रहा है । दुनिया के इतिहास में आज तक एक भी ऐसी घटना घटित नहीं हुई कि जिस व्यक्ति ने हर्ष का अनुभव किया हो उसने शोक का अनुभव न किया हो । हर्ष और शोक दोनों साथ-साथ चलते हैं । एक चित्र उभर जाता है तो लगता है यह हर्ष है । वह जब नीचे जाता है, शोक उभर आता है और हर्ष छिप जाता है । वास्तव में हर्ष और शोक के बीच में कोई दूरी नहीं है । दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं ।
प्रसन्नता क्या है ?
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प्रसन्नता हर्ष भी नहीं है और प्रसन्नता शोक भी नहीं है । प्रसन्नता है - चित्त की निर्मलता । जब आकाश में न बादल होते हैं, न धूल होती है तब कहा जाता है - 'आकाश बड़ा प्रसन्न है । हमारे चित्त पर जब लाभ की घटा उमड़ती है, लाभ के बादल छा जाते हैं, बड़ा हर्ष होता है और जब कोई अलाभ की आंधी उतर आती है, बड़ा दुःख होता है, शोक होता है । जब चित्त के आकाश पर न लाभ की घटा उमड़ती है, न अलाभ की आंधी उतरती है तब चित्त प्रसन्न होता है, निर्मल होता है । वैराग्य से समता और समता से प्रसन्नता, चित्त की निर्मलता घटित होती है ।
एकाग्रता
यह निर्मलता की घटना जब घट जाती है, चित्त प्रसन्न बन जाता है, तब एकाग्रता सती है । चित्त पहले एकाग्र नहीं होता । एकाग्र हो सकता है चित्त । एक निशाना साधने में क्या चित्त की एकाग्रता नहीं होती ? एक शिकारी निशाना साधता है, कितना एकाग्र होता है ! जब एक व्यक्ति किसी को डराना चाहता है, कितना एकाग्र होता है ! एकाग्र होना ही कोई अच्छी बात नहीं हैं । किन्तु प्रसन्नता, समता और वैराग्य के कारण जो चैतन्य का अनुभव होता है, इस चैतन्य के अनुभव के प्रति एकाग्र होना अच्छी बात है । वह एकाग्रता होती है तब वास्तव में अपनी भीतरी सम्पदाओं का पता चलता है और आदमी अपने को पहचान लेता है ।
त्रिगुप्ति का प्रयोग
जो व्यक्ति मन को शांत करना चाहता है, विकल्पों को कम करना
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