________________
४०
जो सहता है, वही रहता है मीमांसा करनी होगी। एक व्यक्ति ने निर्णय किया कि मैं कचौड़ी नहीं खाऊँगा। दूसरे दिन वह जैसे ही कचौड़ी की दुकान के सामने से गुजरा, वहाँ की महक ने उसे विवश कर दिया। वह कचौड़ी खाने बैठ गया। उसका मित्र उसे प्रतिज्ञा की याद दिलाता रहा, लेकिन वह मन के हाथों विवश बना रहा। वात विकार के परिणाम ___मन की अस्थिरता और चंचलता व्यक्ति को अपने निश्चय से डिगा देती है। अनेक लोग कहते हैं कि स्मरणशक्ति बहुत कमजोर है। बच्चों के बारे में भी ऐसी शिकायते आती हैं। छोटे बच्चों की स्मृति कमजोर होनी ही नहीं चाहिए। अस्सी की अवस्था पार कर जाने के बाद भी स्मृति कमजोर नहीं होनी चाहिए, लेकिन वह कमजोर हो जाती है। इसका कारण भी वायुवृद्धि है। वातवृद्धि स्मृति दौर्बल्य का एक प्रमुख कारण है। कुछ लोग कहते हैं कि डर बहुत लगता है। किसी घटना के होने पर डर लगना स्वाभाविक है। कुछ लोग अकारण ही डरे रहते हैं। प्रतिक्षण एक अज्ञात भय उनमें समाया रहता है। इस भय और घबराहट के पीछे भी वायु का विकार है। कुछ लोग सीमा से ज्यादा बोलते हैं, अनावश्यक ही बोलते रहते हैं। इस वाचालता का कारण भी वायु विकार ही है। कुछ लोगों को हँसी-मजाक, व्यंग्य में बड़ा रस मिलता हैं। ये सारे वात विकार के लक्षण हैं। इन लक्षणों को जानकर हम मन के प्रभाव की मीमांसा करें। अगर हम मन को वैसा बनाना चाहते हैं, जिसमें वाचालता की स्थिति न हो, चंचलता की स्थिति न हो, भय और घबराहट की स्थिति न हो, तो हमें शरीर पर ध्यान देना होगा। केवल मन के द्वारा इन समस्याओं का समाधान पाना संभव नहीं है। यह समस्या का मूल कारण है। इसे पकड़े बिना समस्या का समाधान नहीं होगा। पित्त के परिणाम
दूसरा महत्त्वपूर्ण तत्त्व पित्त है। पित्त उत्तेजक है, गर्म है। स्वाभाविक ही है कि जिस व्यक्ति को क्रोध आए, उसमें पित्त की प्रधानता होगी। जब तक पित्त का शमन नहीं होता है, क्रोध का शमन नहीं हो सकता। प्रेक्षाध्यान में क्रोध के शमन हेतु सफेद और नीले रंग का ध्यान कराया जाता है। ज्योतिकेन्द्र, आनन्दकेन्द्र और विशुद्धिकेन्द्र पर नीले रंग का ध्यान, पूरे शरीर पर सफेद और नीले रंग का ध्यान कराया जाता है। इससे क्रोध की उत्तेजना
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org