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________________ प्रकृति एवं विकृति १४९ जीवन एक सच्चाई है। इसे हर मनीषी ने अपनी समझ की आँखों से देखा है, फिर भी समग्रता से उसकी व्याख्या नहीं हुई। यह आज भी हमारे लिए शेष है कि हम जीवन की सच्चाई को अपनी-अपनी आँखों से देखें और उसकी व्याख्या को अधिक स्पष्ट व प्रासंगिक बनाएँ। नवांगी जीवन जीवन के घटक तत्त्व नौ हैं- (१) ओज आहार-जीवन के प्रथम क्षण में होने वाली पौद्गलिक संघटना (२) शरीर (३) इंद्रिय (४) श्वास (५) भाषा (६) मन (७) प्राण (८) चित्त (९) भाव। इस नवांगी जीवन के पदार्थों को समझे बिना जीवनशैली के यथार्थ को नहीं समझा जा सकता। प्रवर एवं अवर जीवनशैली को प्रवर और अवर मानने का आधार यथार्थ है। शारीरिक स्वास्थ्य, ऐंद्रिय स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य और भावात्मक स्वास्थ्य को पोषण देनेवाली जीवनशैली प्रवर है। जिस जीवनशैली से सर्वांगीण स्वास्थ्य की हानि होती है, वह जीवनशैली उचित नहीं मानी जा सकती। व्याख्या का अग्रिम चरण यह है कि जो जीवनशैली श्वास को दीर्घ और प्राणऊर्जा में वृद्धि करती है, वह प्रवर है। जिससे श्वास छोटा और प्राणऊर्जा क्षीण होती है, वह जीवनशैली अवर है। चित्त को प्रसन्न रखने वाली जीवनशैली प्रवर है तथा चेतना को अवसाद और विषाद की स्थिति में ले जानेवाली जीवनशैली अवर है। अपने विचारों, भावों और संवेदनाओं को दूसरों तक पहुँचाने का माध्यम भाषा है। भाषा को हम मन से अलग नहीं कर सकते। मन की सारी गतिविधियों का संचालन भाषा के माध्यम से होता है। स्वास्थ्य का मूल आधार शरीरविज्ञान की दृष्टि से स्वास्थ्य का मौलिक आधार नाड़ीतंत्र और ग्रंथितंत्र हैं। अध्यात्म की दृष्टि से स्वास्थ्य का मौलिक आधार है प्राणऊर्जा का संतुलन। प्राण के तीन मुख्य प्रवाह हैं-१. चंद्र स्वर २. सूर्य स्वर ३. मध्य स्वर । योग की भाषा में इन्हें क्रमशः इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना कहा जाता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003054
Book TitleJo Sahta Hai Wahi Rahita Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages196
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size11 MB
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