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________________ १५० जो सहता है, वही रहता है चंद्रस्वर का संबंध मानसिक क्रियाकलाप से है । सूर्यस्वर का संबंध शारीरिक क्रियाकलाप से और मध्यस्वर का संबंध आंतरिक ऊर्जा के साथ है। चंद्रस्वर और सूर्यस्वर का संबंध मस्तिष्क के दोनों पटलों से है। चंद्रस्वर चलता है, तब मस्तिष्क का दायाँ पटल सक्रिय होता है । सूर्यस्वर चलता है, तब बायाँ पटल सक्रिय होता है । मस्तिष्क तथा श्वसन हेलीफेक्स विश्वविद्यालय (कनाडा) के मनोविज्ञान विभाग के अनुसंधानकर्त्ताओं ने नाक के दोनों तरफ से चलनेवाली श्वास-प्रश्वास का भी अध्ययन किया । दाएँ और बाएँ क्रम से चलने वाली श्वसन क्रिया और मस्तिष्कीय गोलार्द्ध में बारी-बारी से होने वाली क्रियाशीलता का गहरा संबंध पाया गया। जब दाहिने नथुने से श्वसन होता रहता है, तब बाएँ गोलार्द्ध में ई.ई.जी. द्वारा अधिक क्रियाशीलता देखी जा सकती है। इसका उल्टा भी सही है, अर्थात् बाएँ नथुने से श्वसन क्रिया होते समय दाहिने गोलार्द्ध में अधिक क्रियाशीलता परिलक्षित हुई । हमारा संचालनतंत्र मस्तिष्क से नियंत्रित होता है । अंतः द्गावी ग्रंथियों के स्राव उसके सहायक हैं और उसकी प्रभावी सहायक चेतना है | चेतना, ग्रंथितंत्र व मस्तिष्क एवं पृष्ठरज्जु का समन्वित अध्ययन और प्रयोग न करें तो स्वास्थ्य की समस्या का समाधान नहीं कर सकते। यह शरीरविज्ञान और मनोविज्ञान की सच्चाई है । इसके साथ अध्यात्म की सच्चाई को और जोड़ें तो कहा जाएगा - चेतना, नाड़ीतंत्र और ग्रंथितंत्र के साथ प्राण का अध्ययन किए बिना हम स्वास्थ्य के रहस्यों को समग्रतः नहीं समझ सकेंगे। स्वस्थ समाज की संरचना 1 बीसवीं शताब्दी संहारक अस्त्रों के निर्माण, जातीय एवं साम्प्रदायिक संघर्ष, अनावश्यक हिंसा, आतंकवाद, अपराध और पर्यावरण प्रदूषण के लिए प्रसिद्ध रही है । आज प्रत्येक चिंतनशील व्यक्ति का मन आंदोलित है कि उक्त समस्याओं का समाधान कैसे किया जाए ? नए समाज अथवा स्वस्थ समाज की संरचना कैसे संभव हो ? आचार्य तुलसी ने १९४५ में स्वस्थ समाज रचना का संकल्प प्रस्तुत किया था । उस संकल्प का जीवन दर्शन है- अणुव्रत । अणुव्रत का मूल तत्त्व संयम है । स्वस्थ व्यक्ति और स्वस्थ समाज की रचना के लिए जिस जीवनशैली की आवश्यकता है, उसे हम एक शब्द में परिभाषित कर सकते हैं। वह है 'संयमाभिमुख जीवनशैली' | Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003054
Book TitleJo Sahta Hai Wahi Rahita Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages196
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size11 MB
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