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________________ १३२ जो सहता है, वही रहता है एक युवक ने कहा, 'महाराज, मैं आपके प्रश्न का उत्तर दे सकता हूँ।' 'बोलो! कौन बड़ा है, मैं या इंद्र ?' 'राजन् ! आप बड़े हैं, इंद्र छोटा है।' 'इसका हेतु क्या है?' 'महाराज, एक दिन ऐसा हुआ कि विधाता आपका भाग्य लिख रहा था। उस समय इंद्र भी सामने आ गया। विधाता ने देखा कि यह भी तो अच्छा है। उसके मन में विकल्प उठा कि अब राजा किसे बनाऊँ? इसे बनाऊँ या उसे बनाऊँ ? तब विधाता ने निर्णय लिया कि न्याय करना चाहिए। वह एक तराजू उठा लाया। एक पल्ले में आपको बैठा दिया और दूसरे पल्ले में इंद्र को बैठा दिया। इंद्र हल्का था, इसलिए वह ऊपर चला गया। आप भारी थे, इसलिए नीचे रह गए। ऊपर का राज्य इंद्र को दे दिया गया और नीचे का राज्य आपको मिल गया। आप भारी हैं, इसलिए आप बड़े हैं।' राजा को यह समाधान पसंद आ गया और युवक को आधा राज्य मिल गया। स्वसंवेदन ____ महत्त्वपूर्ण प्रश्न है कि कौन-सा राज्य छोटा है और कौन-सा बड़ा है। मन का राज्य छोटा है। वह नीचे रहता है। अतीन्द्रिय का राज्य बड़ा है, वह सूक्ष्म में चला गया, ऊपर चला गया। उसके लिए इंद्रिय और मन के राज्य की सीमा को पार करना पड़ता है। इसके बिना अतीन्द्रिय तक नहीं पहुँचा जा सकता। जो आत्म-साक्षात्कार करने की भावना रखता है, उसे सबसे पहले इंद्रिय और मन का संवर करना होगा। जब इंद्रिय और मन की चंचलता समाप्त होती है, तब अतीन्द्रिय बोध शुरू होता है और उसका नाम है-संवेदन। योग अथवा ध्यान में तीन शब्द बड़े महत्त्वपूर्ण हैं-आत्मानुभव, आत्मानुभूति या आत्मदर्शन। तीनों का तात्पर्य है स्वसंवेदन। हमारा एक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003054
Book TitleJo Sahta Hai Wahi Rahita Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages196
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size11 MB
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