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अपना आलंबन स्वयं बनें चिंतन की दिशा
गर्मी का मौसम। जेठ की दुपहरी। चिलचिलाती धूप। इस गर्मी में आदमी का दिमाग भी गर्म हो जाता है। दिमाग ठंडा होता है तो चिंतन में सुविधा होती है। दिमाग गर्म होता है तो चिंतन में असुविधा होती है। असुविधा ही नहीं, अनेक कठिनाइयाँ पैदा हो जाती हैं और आदमी न जाने उस स्थिति में क्या-क्या कर बैठता है। स्वास्थ्य का एक लक्षण है कि पैर गर्म रहें
और दिमाग ठंडा रहे। पर उल्टा हो जाता है। पैर ठंडे हो जाते हैं और दिमाग गर्म हो जाता है। यह विचित्र स्थिति है। यदि दिमाग ठंडा रहता है, तो आदमी बहुत समय तक जी सकता है, शांति और आनंद के साथ जी सकता है। कायाकल्प
__ आज के वैज्ञानिक एक नई विधि का विकास कर रहे हैं, जिससे आदमी पाँच सौ या हजार वर्षों तक जी सके। वह विधि है शीतलीकरण की। आदमी को ठंड में जमा दिया जाए। दस वर्ष तक वह ठंड में जमा रहा। दस वर्ष बाद उसे गर्माया और वह जी उठा । यदि बार-बार इस शीतलीकरण की प्रक्रिया को दोहराया जाए, तो वह पाँच सौ वर्ष या हजार वर्ष भी जी सकता है। वैज्ञानिकों ने चींटियों को ठंड में जमा दिया। सब चींटियाँ मरी हुई लग रहीं थीं। दस मिनट बाद उन्हें गर्माया गया। वे पुनः जी उठीं। उनमें हलचल शुरू हो गई। हम बहुत बार देखते हैं कि मक्खियाँ और चींटियाँ जब बहुत ठंडे पानी में गिर जाती हैं, तब वे मृत जैसी हो जाती हैं, जब उन्हें भाप से गर्माया जाता है या धूप में रखा जाता है, तो वे पुनः जीवित हो उठती हैं।
शीतलीकरण के द्वारा मनुष्य का कायाकल्प किया जा सकता है। यदि बीमार को ठंडा किया जा सके तो वह बहुत लम्बी उम्र तक जी सकता है। एक बात और, यदि पूरे शरीर को ठंडा न किया जा सके, पर यदि दिमाग ठंडा रह सके, तो भी आदमी लम्बी उम्र तक जी सकता है। जितनी अकाल मृत्यु होती हैं, छोटी आयु में मौत होती हैं, उसका एक कारण यह है कि व्यक्ति का दिमाग बार-बार गर्म हो जाता है, आग बार-बार जल उठती है, आँच इतनी तेज हो जाती है कि कोशिकाएँ बहुत जल्दी नष्ट हो जाती हैं।
हमारे जीवन का आधार मस्तिष्क की कोशिकाएँ हैं। जब तक कोशिकाएँ
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