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________________ २२३ सहिष्णुता की अनुप्रेक्षा संत ने कहा, मैं ऐसे आदमी को सहन नहीं कर सकता । खुदा बोले, जिस आदमी को मैंने सत्तर वर्ष तक सहा है। क्या तुम उसे एक रात भी सहन नहीं कर सकते ? यह कितनी मर्म की बात है । सहन कोई खुदा ही कर सकता है, परमात्मा या महान् आत्मा ही कर सकता है। साधारण आदमी अपने भिन्न विचार वाले को सहन नहीं कर सकता। सहिष्णुता में बाधाएं बड़ी समस्या है मन की, भावना की और उसके साथ साथ शरीर की। हम सहिष्णुता का अर्थ क्या करें? किसको सहन करें? सहन करना अच्छा है किंतु सहन करने से कितनी स्थितियां जुड़ी हुई हैं। थोड़ी-सी रासायनिक प्रक्रिया गड़बड़ा गई, आदमी असहिष्णु बन जाएगा। हमारी एक जैविक-रासायनिक श्रृंखला है, उसमें थोड़ा-सा अवरोध आता है तो व्यक्ति का स्वभाव बदल जाता है। अच्छे स्वभाव वाला व्यक्ति असहिष्णु और चिड़चिड़ा हो जाता है। उसकी सहन करने की शक्ति कमजोर हो जाती है। जो लोग बहुत तेज दवाइयां खाते रहते हैं, विशेषतः एंटीबायोटिक्स का प्रयोग करते ही रहते हैं, उनके स्वभाव में चिड़चिड़ापन आने लग जाता है। अवस्था का भी असर होता है। एक अवस्था आती है तब मनुष्य का नाड़ीतंत्र शिथिल हो जाता है। इस स्थिति में व्यक्ति की सहिष्णुता समाप्त हो जाती है, सामान्य बात को भी आदमी सहन नहीं कर सकता । सहिष्णुता का मूल्य सहिष्णुता के अनेक बाधक तत्त्व हैं। शारीरिक तत्त्व, मानसिक प्रक्रिया-चिन्तन की पद्धति और भावात्मक संवेग-ये सब असहिष्णुता के कारण बन रहे हैं । इस स्थिति में सहिष्णुता का प्रश्न एक जटिल पहेली जैसा लगता है। हमें समग्र दृष्टिकोण से सोचना होगा। धर्मशास्त्र किस प्रकार की सहिष्णुता चाहता है? स्वास्थ्यशास्त्र-आयुर्वेद और आयुर्विज्ञान में सहिष्णुता का क्या रूप है? यह स्पष्ट है-सबने सहिष्णुता को मूल्य दिया है। स्वास्थ्यशास्त्र की दृष्टि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003053
Book TitleApna Darpan Apna Bimb
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages258
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Spiritual, & Discourse
File Size9 MB
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