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________________ २२४ अपना दर्पण : अपना बिम्ब रही - यदि सहिष्णुता का भाव अच्छा नहीं है तो स्वास्थ्य गड़बड़ा जाएगा। असहिष्णुता का बहुत असर होता है स्वास्थ्य पर । शारीरिक स्वास्थ्य की दृष्टि से सहन करना बहुत जरूरी है। धार्मिक दृष्टि से भावात्मक सहिष्णुता बहुत मूल्यवान् है। एक धार्मिक व्यक्ति को भावात्मक दृष्टि से सहिष्णु होना चाहिए, उसके साथ मानसिक सहिष्णुता का होना भी आवश्यक है। जहां समूह का जीवन है, वहां असहिष्णुता बहुत बड़ी समस्या बन जाती है। साथ में रहना है, साथ में जीना है और एक दूसरे को सहन न कर सकें तो जीवन समस्या से आक्रांत हो जाता है। यह निश्चित बात है कि सब व्यक्ति अपूर्ण हैं, पूर्णता का होना बहुत मुश्किल है। कभी किसी व्यक्ति की ओर से अविनय या असहिष्णुता का व्यवहार हो सकता है तो कभी कोई व्यक्ति अविनय कर सकता है। कभी एक व्यक्ति अप्रिय व्यवहार करता है तो कभी दूसरा व्यक्ति अप्रिय व्यवहार कर देता है। इस स्थिति में व्यक्ति एक दूसरे को सहन करना न जाने, एक दूसरे की कमजोरी को सहन न कर सके तो शांतिपूर्ण सहवास की समस्या गंभीर बन जाती है। प्रश्न अन्याय को सहने का इस संदर्भ में एक प्रश्न अनेक बार आता है-क्या अन्याय को सहन करना भी अच्छा है? क्या हम अन्याय को भी सहन करें? यह कोई नहीं कह सकता - अन्याय को सहन करो। हम अन्याय को सहन न करें किन्तु कम से कम न्याय को तो सहन करें। यह भी एक न्याय है-साथ में रहना और जीना है, सापेक्ष जीवन जीना है तो एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को सहारा दे । ऐसा तो नहीं होना चाहिए कि जहां सहारे की जरूरत हो वहां गिराने की बात आ जाए । मां ने बेटे को सीख दी - तुम हमेशा अच्छा काम करना, दूसरों की भलाई करना, अच्छाई में विश्वास करना । बेटे ने मां की सीख को स्वीकार कर लिया । स्कूल में पढ़ने के लिए गया । कक्षा में अध्यापक कुर्सी पर बैठने लगा । उसने कुर्सी पीछे खींच ली। अध्यापक धड़ाम से नीचे गिर पड़ा। अध्यापक ने विद्यार्थी बहुत पिटाई की। विद्यार्थी रोते रोते घर पहुंचा। उसने मां से कहा-मां ! तुम कहती थी- अच्छा काम करना । अच्छा काम करने वाले की यह हालत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003053
Book TitleApna Darpan Apna Bimb
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages258
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Spiritual, & Discourse
File Size9 MB
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