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देवागमनभोयन, चामरादिविभूतयः ।
मायाविष्वपि दृश्यन्ते, नातस्त्वमसि नो महान् ।। प्रभो ! आप इसलिए पूज्य नहीं हैं कि आपके पास देवता आते हैं, आकाश से विमान उतरते हैं । चमर आदि विभूतियां हैं । जो मायावी और ऐंद्रजालिक हैं, वे भी ऐसे दृश्य दिखा सकते हैं। क्या वे भी महान् बन जाएंगे? आप इसलिए महान् नहीं हैं । जैन दर्शन में महानता की तीन कसौटियां हैं-अनंतज्ञान, अतीतदोष और अबाध्य सिद्धान्त होना । अर्हत् में ये तीनों कसौटियां उपलब्ध होती हैं । इसलिए हम बहुत श्रद्धा के साथ इस तथ्य को स्वीकार करते हैं-अर्हत् होना है और इसी श्रद्धा के साथ इस मंत्र का उच्चारण करते हैं-णमो अरहंताणं ।
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