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संपादकीय
जीवन की उर्वरा साधना का बीज बोता है कृषक फूटता है अध्यात्म अंकुर संवर की परिखा निर्जरा का निर्मल जल मिट जाए बंध का प्रदूषण पुण्य पाप का उर्वरक न घोल पाए जहरीले रसायन जड़ का आक्रमण आश्रव की आंधी न कर पाए बर्बादी । और एक दिन वह बीज : वह अंकुर बन क्षेमंकर दुर्लभ अमृतफल बांटेगा प्रत्यक्ष बन स्वयं कल्पवृक्ष कृतार्थ जीव कृतार्थ जीवन मोक्ष का कर वरण महाप्रज्ञ का प्रस्तुत सृजन साधना-सूत्रों का विश्लेषण साधना-बीजों का अक्षय कोश
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