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श्रेष्ठ बीज चुनें जीवन की उर्वर धरती पर बोएं दें धूप, हवा और जल
न मिले जहरीला रासायनिक दलदल उगेगी वह संस्कार पौध
करेगा मानव अपनी शोध
विस्तार पाएगा अंकुर
ज्ञान के पत्र
दर्शन के पुष्प चरित्र के फल
लहराएगा जीवन आंगन ।
मिटेगा अंतः प्रदूषण
होगा वही श्रेय
और वही प्रेय जो है अवश्य करणीय
प्रातः स्मरणीय
नित्य अनुचिन्तनीय | जैनधर्म के साधना - सूत्र
कैसा हो अत्र अमुत्र मानव का चिरन्तन प्रश्न
पढ़ें प्रस्तुत सृजन बदलेगा चिन्तन
बदलेगी दृष्टि अभिनव सृष्टि उपयोगितावाद का दर्शन
महाप्रज्ञ की प्रज्ञा का निदर्शन जीवन-दर्शन |
अध्यात्म-साधना केन्द्र छतरपुर रोड, मेहरोली नई दिल्ली ११००३०
२६ जनवरी १९९५
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मुनि धनंजयकुमार
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