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________________ उदार दृष्टिकोण जिसने अपने देवत्व को जगा लिया, अपने आप को वश में कर लिया उसके लिए मंगल का द्वार खुल गया | मंत्र बहुत हैं। हर परम्परा में हैं | वैदिक परम्परा में भी गायत्री जैसा शक्तिशाली मंत्र है । अथर्ववेद का पूरा भाग मंत्रों से भरा है । बौद्ध परम्परा में भी बहुत सारे मंत्र हैं । बौद्धों ने भी मंत्रों का बहुत विकास किया । जैन परम्परा में भी मंत्रों का प्रयोग होता है । तीनों परम्पराओं में मंत्रों का बहुत.विकास हुआ, किन्तु नमस्कार महामंत्र एक अनुपम मंत्र है । इसमें किसी का नाम नहीं । न महावीर का नाम है और न किसी अन्य देवता का | किसी की अर्चना नहीं, किसी की पूजा नहीं । केवल आत्म-तत्व की आराधना । अर्हत् जैन परम्परा में भी हो सकता है और अन्य परम्परा में भी । ऐसा नहीं कि जैन परम्परा में ही सिद्ध हों, अन्य परम्पराओं में नहीं । इतना उदार दृष्टिकोण भगवान् महावीर ने दिया कि एक गृहस्थ के वेश में भी सिद्ध हो सकता है और एक साधु के वेश में भी सिद्ध हो सकता है | जैन वेश में भी सिद्ध हो सकता है और अन्य परम्परा के वेश में भी सिद्ध हो सकता है | गृहस्थ के वेश में हमारी परम्परा में सबसे पहले मोक्ष जाने वाली आत्मा है-भगवान् ऋषभ की माता मरुदेवा । वह हाथी पर बैठी थी गृहस्थ के वेश में । उसी समय मोक्ष चली गयी । हमारी परम्परा में भी गृहस्थ के वेश में साधु साध्वी की दीक्षा हुई है । न वेश के साथ कोई आत्मा का विरोध है न हाथी पर चढ़ने के साथ । मूल प्रश्न है-आत्मा की निर्मलता, आत्म-चेतना का जागरण | 'आत्मा को वश में करना' - यह वशीकरण सूत्र हमारी समझ में आ जाए तो कुछ भी जानना शेष नहीं रह जाएगा । सबसे बड़ा वशीकरण सूत्र है-तीन गुप्तियों की साधना । सबसे बड़ा वशीकरण सूत्र है-प्रेक्षा ध्यान | ये वशीकरण सूत्र हमारी समझ में आ जाएं तो आगे मंगल, पीछे मंगल, सर्वत्र मंगल ही मंगल है। जैन धर्म के साधना-सूत्र Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003052
Book TitleJain Dharma ke Sadhna Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year
Total Pages248
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size10 MB
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