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रहे ब्यूटी पार्लरों में कितने लोग जाते हैं। जगह-जगह सौन्दर्य और प्रसाधनगृह खुले हुए हैं। उनमें लोग जाते हैं और कृत्रिम प्रसाधनों से अपने आपको सुन्दर बनाने का प्रयत्न करते हैं । यह लौकिक दृष्टिकोण है । आध्यात्मिक दृष्टिकोण यह है - मनुष्य जीवन या आत्मा जिसे उपलब्ध है, उससे सुन्दर और कोई नहीं । आत्मा के सौन्दर्य के अभाव में बाह्य रूप से सुन्दर व्यक्ति भी अत्यन्त कुरूप है । सौन्दर्य है आत्मा में । जब आत्मा की दृष्टि जाग जाती है, बाहरी सौन्दर्य का आकर्षण समाप्त हो जाता है । यह सौन्दर्य के प्रति आसक्ति ही है कि अवस्था बीत जाने पर भी अपने सफेद बालों को काला करने का प्रयत्न किया जाता है । कभी-कभी तो नकली दाढी-मूंछें और सिर पर विग लगा ली जाती है । चेहरे पर लालिमा दिखाने के लिए भी न जाने कितने प्रयत्न किये जाते हैं । वस्तुतः ऐसा करने वालों ने आत्मा को समझा ही नहीं है ।
प्रेय के मार्ग
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जब आत्मानुभूति जागती है, श्रेय का मार्ग उपलब्ध होता है; तब व्यक्ति की मनोदशा बदल जाती है । इसीलिए कहा गया- हित का उपदेश देना चाहिए | सबसे बड़ा अनुग्रह है हितोपदेश | किसी को भोजन करा देना, कपड़े देना, मदद करना - ये सब प्रेय के मार्ग हैं । इन्हें श्रेय के साथ जोड़ कर बड़ी भ्रान्ति पैदा कर दी गई है। जहां निर्माण की बात करें, निःश्रेयस् की बात करें, श्रेय और हित का मार्ग प्रस्तुत होता है । एक हिंसक व्यक्ति को श्रेय का उपदेश दिया, उसका मार्ग बदल दिया, यह हित का मार्ग है । दस-बीस रुपये देकर तात्कालिक रूप से उसे हिंसा से विरत कर देना प्रेय का मार्ग है । प्रलोभन और भय - ये दोनों प्रेय के मार्ग हैं, श्रेय के मार्ग नहीं हैं ।
जागृत हो विवेक
प्रसिद्ध संत राबिया एक दिन हाथ में बाल्टी और झाडू लेकर चले । किसी ने पूछा- यह आप क्या करने जा रहे हैं ? उन्होंने कहा- इस दुनिया में दो सबसे खतरनाक चीजें हैं- भय और प्रलोभन । लोभ की जो आग जल
हितोपदेश
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