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ध्यान नहीं जायेगा, आन्तरिक वस्तु पर ध्यान जायेगा, आत्मा के रूपान्तरण पर ध्यान जायेगा । कपड़ों पर, शरीर पर ध्यान नहीं अटकेगा । शरीर की सार-संभाल एक लौकिक कर्म है । आध्यात्मिक कर्म में आत्मा ही सामने रहेगी।
सबसे सुन्दर है मनुष्य जीवन
पौराणिक कहानी है | एक बार सूर्य के मन में आया- मैं पृथ्वी पर जाऊं और लोगों की समस्या का समाधान करूं । सूर्य वेश बदल कर पृथ्वी पर आया । एक नगर में घोषणा करा दी- जो कोई व्यक्ति कुरूप है, मेरे पास आए, मैं उसे सुन्दर बना दूंगा । सुरूप बनने की लालसा किसमें नहीं होती । प्रत्येक व्यक्ति की यह इच्छा होती है कि सुन्दर बनूं, सुन्दर दिखू । भीड़ लग गई । सभी सौन्दर्य के आकांक्षी । योगीवेशधारी सूर्य ने उन सबको स्पर्श मात्र से सुन्दर बना दिया । पूरे नगर में इस चमत्कार की चर्चा हो गई। सभी सुन्दर बन गए । सूर्य ने जाने से पूर्व सोचा- पता कर लूं, सुन्दर बनने से कोई वंचित तो नहीं रह गया । नगर में घूमा । सभी सुन्दर दिखाई दिये। कुछ आगे बढ़ा, देखा- कुटिया में एक संन्यासी बैठा है । वह कुरूप है, सुन्दर नहीं है । अवस्था भी जीर्ण-शीर्ण है । सूर्य का संकल्प था कि इस नगर के सभी निवासियों को सुन्दर बना दूंगा । सूर्य उसके समीप गए और बोले'बाबा, तुमने घोषणा नहीं सुनी ? इस नगर के सभी लोग चामत्कारिक रूप से सुन्दर हो चुके हैं | मैंने सभी को सुरूप बना दिया है, आप क्यों नहीं आए। बाबा बोला- लोगों से सुना तो था, किन्तु मैंने इसकी जरूरत नहीं समझी । मैं समझता हूं मनुष्य से सुन्दर इस दुनिया में और कोई नहीं । मनुष्य होकर मैं स्वतः सुन्दर हूं, फिर किसी से अतिरिक्त सुन्दरता क्यों मांगू ? संन्यासी की स्पष्टोक्ति सुनकर सूर्य अवाक् रह गया । लौकिक दृष्टिकोण
सबसे सुन्दर है मनुष्य का जीवन | यह है आध्यात्मिक दृष्टिकोण । सुन्दर बनने की बात लौकिक दृष्टिकोण है । बड़े शहरों में, होटलों में चल
__ जैन धर्म के साधना-सूत्र
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