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________________ जन्म क्यों होता हैं ? जन्म क्यों होता है ? मनुष्य बार-बार जन्म क्यों लेता है ? एक बार मृत्यु हो गई, बस, काम समाप्त हो जाना चाहिए। किन्तु ऐसा क्यों नहीं होता ? इसका कारण है यह कर्म और क्लेश का चक्र । कर्म, क्लेश और जन्मइन तीनों में एक अनुबन्ध है, एक निरन्तरता है । तीनों एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं । जब तक कर्म है, क्लेश है, तब तक जन्म है और जब तक जन्म है तब तक कर्म और क्लेश हैं । अगर जन्म नहीं होता तो नए सिरे से कर्म का बन्ध नहीं होता और क्लेश भी पैदा नहीं होता । लगता है- कर्म, क्लेश और जन्म इन तीनों ने आपस में कोई संधि कर ली है, समझौता कर लिया है। कर्म भी रहे, क्लेश भी रहे और जन्म भी रहे, ऐसा कोई समझौता हो गया है, तभी ये तीनों साथ-साथ चलते हैं । 1 I क्लेश में आदमी को दुःख होता है । कर्म से भी दुःख होता है । कर्म भीतर रहता है, इसलिए पता नहीं चलता । क्रोध वेदनीय कर्म का पता नहीं चलता । जब क्रोध आता है तो आंखों में लाल डोरे पड़ जाते हैं । भृकुटि तन जाती है, होंठ कांपने लगते हैं, तब पता चलता है कि आदमी को क्रोध आया है । क्रोध का लक्षण हमारे सामने आ जाता है, क्रोध सामने नहीं आता । वह छिप कर अपना काम कर रहा है, भूमिगत होकर अपना काम कर रहा है । क्रोध का परिणाम होता है दुःख । क्लेश से कर्म का बन्ध और दुःख दोनों होते हैं । कर्म का दबाव व्यक्ति के मन में प्रश्न उठा - क्रोध से दुःख होता है, फिर मैं क्रोध क्यों करूं ? क्रोध नहीं करना चाहिए । किन्तु कर्म का इतना दबाव होता है कि व्यक्ति जानता हुआ भी उसको छोड़ नहीं पाता । लोग पानपराग खाते हैं, जर्दा खाते हैं, तम्बाकू, बीड़ी-सिगरेट पीते हैं । वे यह भी जानते हैं कि इनका परिणाम क्या है ? कैंसर, हृदय रोग आदि भयंकर बीमारियां इनका परिणाम हैं, फिर भी वे इन्हें छोड़ नहीं पाते। आज प्रातःकाल पूज्य गुरुदेव के पास एक परिवार आया । उस परिवार का एक भाई आकर ऐसे खड़ा प्रयत्न का विवेक Jain Education International For Private & Personal Use Only १५ www.jainelibrary.org
SR No.003052
Book TitleJain Dharma ke Sadhna Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year
Total Pages248
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size10 MB
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