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लगाया, क्रोध शान्त हो गया । वैज्ञानिकों ने प्रयोग किया- जो भयंकर सांड होते हैं, जिनकी लड़ाइयां होती हैं, उनके सिर पर इलेक्ट्रॉड लगाया, एकदम शान्त हो गए । क्या विद्युतीय इलेक्ट्रॉड लगाना पर्याप्त नहीं है ? ध्यान का इतने लम्बे समय तक उपयोग करने की जरूरत क्या है ? यह प्रश्न करते समय यह नहीं सोचा गया कि इलेक्ट्राड से एक क्षण के लिए तो आवेग शान्त हो गया, पर आशय की शुद्धि उससे नहीं होती । इलेक्ट्रॉड लगाया तब तक ठीक है किन्तु इलेक्ट्रॉड हटाते ही वह उत्तेजना तैयार है । यह ध्यान का प्रयोग आशय.की शुद्धि के लिए है । विद्युत्यंत्र जैसी क्षणिकता इसमें नहीं है । आशयशुद्धि निरंतर बनी रहे, इसके लिए आवश्यक है ध्यान । जब आशय की शुद्धि का प्रयोग होता है तो वास्तव में हमारे दुःख भी कम हो जाते हैं। दुःख का संवेदन मिथ्यादृष्टि ज्यादा करता है । दृष्टिकोण सम्यक् बना और दुःख का संवेदन स्वल्प बन गया ।
दुःख कम करने के लिए, मनुष्य जीवन को सफल बनाने के लिए ये तीन सूत्र हमारे सामने हैं । सम्यक् ज्ञान, सम्यक् दर्शन और सम्यक् चारित्र-तीनों की एक त्रिपुटी है । असम्यक् से मुक्ति पाने के लिए सम्यक् का सहारा लेना भी आवश्यक है | पहले इतना तो करें कि बुरे आदमी से प्रभावित न बनें, अच्छे से प्रभावित हों । एक दिन व्यक्ति अप्रभावित भी बन सकता है । वह न तो अच्छे से प्रभावित होगा, न बुरे से प्रभावित होगा । पहले क्रम बनाएं, एक साथ छलांग न लगाएं । सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान
और सम्यक् चारित्र का अनुशीलन करें, सफलता का मार्ग स्पष्ट होता चला जायेगा।
Jain
सफल जीवन के सूत्र
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