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कुछ तुम्हारे पास है। किन्तु कुछ अनावश्यक चीजें बाहर से आकर इकट्ठी हो गई हैं । उन्हें निकाल दो, तुम्हारा पूर्ण और वास्तविक स्वरूप स्वतः प्रकट हो जाएगा । हमारा स्वरूप पैदा नहीं होता, प्रकट होता है । एक है पैदा होना और एक है प्रकट होना । जो स्वरूप दबा है, वह प्रकट हो जाएगा ।
चिकित्सा की पद्धति
प्रत्याख्यान एक चिकित्सा की पद्धति है । प्राकृतिक चिकित्सा, होम्योपैथी, एलोपैथी, आयुर्वेदिक, ईरानी आदि चिकित्सा की अनेक पद्धतियां हैं । प्रत्याख्यान भी चिकित्सा की एक पद्धति है । आक्रमणकारी रोगों को मिटाने का सबसे शक्तिशाली साधन है प्रत्याख्यान । छोड़ना सीखो, त्याग करना सीखो | त्याग करते जाओ, बीमारियां दूर होंगी, स्वास्थ्य का अनुभव होगा । यह आवश्यक है कि प्रतिदिन कुछ न कुछ प्रत्याख्यान किया जाए । स्वल्पकाल के लिए करो या दीर्घकाल के लिए, किन्तु कुछ न कुछ प्रत्याख्यान करते रहो । जो अनावश्यक है, उसे छोड़ो । यह एक बहुत बड़ा प्रयोग है, अभ्यास है।
अन्न का संकट . एक प्रयोग
श्री लालबहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्रित्वकाल में अन्न का संकट उत्पन्न हुआ। इस समस्या के समाधान के लिए उन्होंने एक एकाशन का प्रयोग प्रस्तुत किया- सप्ताह में एक दिन एकाशन करो, एक वक्त भोजन मत करो । कल्पना करें. . एक समय सत्तर करोड़ आदमी एक वक्त का खाना न खाएं तो कितने अन्न की बचत होगी । यदि एकान्तर (एक दिन का उपवास और एक दिन का भोजन) की बात कह दी जाती तो फिर शायद यह समस्या ही जडमल से खत्म हो जाती । यह प्रयोग राष्ट्र की एक बहुत बड़ी समस्या के निवारणार्थ दिया गया था । हमें इसे अपनी व्यक्तिगत समस्या के समाधान के लिए करना चाहिए।
प्रत्याख्यान के प्रकार
आहार-संयम साधना का प्रथम बिन्दु है । इससे अनेक लाभ होते हैं ।
प्रत्याख्यान
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