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दे सकें, दें। फिर शरीर को ढीला छोड़ दें । इस क्रिया को तीन बार दोहराएं। श्वास को मंद अथवा लंबा करें । श्वास लेते समय पेट की मांसपेशियों का फैलाव, और छोड़ते समय उनमें सिकुड़न हो । ____ अब भावना का प्रयोग करें। हाथ पैर शीशे की भांति भारी हो रहे हैं, यह भावना करें । सुझाव सूचना दें | इस भावना (स्व सम्मोहन) की प्रक्रिया से हाथ और पैरों में भारीपन का अनुभव करें । दो मिनट के पश्चात् हाथ पैर रुई की भांति हल्के हो रहे हैं, इस भावना का प्रयोग करें । दो मिनट की इस लाघव की अनुभूति के पश्चात् ध्यान दाएं पैर के अंगूठे पर केन्द्रित करें । जागरूकता के साथ पूरे अंगूठे की प्रेक्षा करें। फिर तीन बार शिथिलता का सुझाव दें । शिथिलता का अनुभव करें । इस क्रिया का प्रयोग प्रत्येक अवयव पर करें । जैसे प्रत्येक अंगुली, पंजे, पैर का तलबा, ऐड़ी, टखना, पिण्डली, घुटना, साथल, कटि का भाग आदि आदि ।
इसी प्रकार बाएं पैर के अंगूठे से कटिभाग तक प्रत्येक अवयव पर चित्त को केन्द्रित करें, शिथिलता का सुझाव दें और उसका अनुभव करें ।
पेडू का पूरा भाग, पेट के भीतरी अवयव- दोनों गुर्दे, बड़ी आंत, छोटी आंत, पक्वाशय, अग्न्याशय, आमाशय, तिल्ली, यकृत, तनुपट ।
छाती का पूरा भाग- हृदय, दायां फेफड़ा, बायां फेफड़ा, पंसलियां, पीठ का पूरा भाग- मेरुदण्ड, सुषुम्ना, गर्दन । दाएं हाथ का अंगूठा, अंगुलियां, हथेली, मणिबन्ध से कोहनी और कोहनी से कन्धा । इसी प्रकार बाएं हाथ के प्रत्येक अवयव पर चित्त को केन्द्रित करें। ___कंठ, स्वर-यंत्र, ठुड्डी, होठ, मसूढ़े, दांत, जिह्वा, तालु, दायां कपोल, बायां कपोल, नाक, दायीं कनपटी, कान, बाईं कनपटी, कान, दायीं आंख, बायीं आंख, ललाट और सिर- प्रत्येक अवयव पर चित्त को केन्द्रित करें। प्रत्येक को शिथिलता का सुझाव दें और उसका अनुभव करें |
शरीर के प्रत्येक अवयव के प्रति जागरूक रहें । शरीर के चारों ओर श्वेत रंग के प्रवाह का अनुभव करें । शरीर के कण-कण में शांति का अनुभव करें।
पैर के अंगूठे से सिर तक चित्त और प्राण की यात्रा करें ।
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