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प्रतिक्रमण
आध्यात्मिक भूमिका पर कोई भी व्यक्ति खुला नहीं होता । दूध का पात्र खुला पड़ा है तो भीतर मक्खी पड़ने की संभावना रहती है । इसीलिए उस पर ढककन दे देते हैं। घर की छत को कोई खुला नहीं रखता । प्रत्येक घर की छत बन्द होती है, इसलिए कि धूप से बचाव हो सके, सर्दी-गर्मी से बचाव हो सके, आंधी और वर्षा से बचाव हो सके । प्रत्येक घर में दरवाजे लगे हुए हैं, इसलिए कि हर कोई उसमें न घुस जाए । वांछित आए, किन्तु अवांछित न आए । प्रत्येक व्यक्ति ने हर दृष्टि से सुरक्षा की व्यवस्था कर रखी है । आध्यात्मिक व्यक्ति सुरक्षा की व्यवस्था रखता है ।
भौतिकवाद : अध्यात्मवाद
आज की दुनिया दो वादों में बंटी हुई है- भौतिकवाद और अध्यात्मवाद । दर्शनिक भाषा को छोड़ दें, केवल अध्यात्मशास्त्रीय भाषा में बात करें तो कहा जा सकता है- जो व्यक्ति सर्वथा खुला है, मानना चाहिए कि वह पदार्यवादी आदमी है। जिस व्यक्ति ने अपनी खुलावट पर कोई ढक्कन रख छोड़ा है, छत बनाई है, किवाड़ लगाए हैं, उसका नाम है अध्यात्मवादी । अध्यात्मवादी बिल्कुल खुला नहीं रहता, कहीं न कहीं आवरण जरूर रखता है और इसलिए रखता है कि यह जगत् अनेक मलिनताओं का जगत् है । राग और द्वेष- ये निरंतर मलिनता का विकिरण कर रहे हैं ।
संक्रामक है दुनिया
आजकल अणुधूलि का विकिरण बहुत हो रहा है । केवल उन राष्ट्रों प्रतिक्रमण
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