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जानता है, वह इस बात को जानता है कि आज जीन पर जो खोजें हो रही हैं, वे भावना के प्रयोग की ही खोजें हैं । आज का वैज्ञानिक इस खोज में लगा है कि जीन को बदलकर पूरे बच्चे को बदल दिया जाए | आज कल्पना तो यह की जा रही है कि आने वाले युग में यह हो जाएगा कि एक वैज्ञानिक अपनी लेबोरेट्री में बैठा है । कोई व्यक्ति जाएगा और कहेगा कि हमें ऐसा बच्चा चाहिए तो वह जीन को बदल देगा । यह जीन ले जाओ, वैसा बच्चा हो जाएगा । बड़ी अजीब-सी बात लग रही है, किन्तु यह काल्पनिक बात नहीं है । इस बात पर आज बहुत काम हो रहा है । इसी विषय में दिल्ली विश्वविद्यालय के वाइस-चांसलर प्रो० मेहरोत्रा ने कहा था- मुनिजी ! आज जीन पर जो काम हो रहा है, उस पर हम भारतीय दर्शन की दृष्टि से क्या कह सकते हैं ? जीन के विषय में आज सारे संसार में बड़ी अद्भुत बातें चल रही हैं । इतनी तेजी के साथ खोजें हो रही हैं कि अगर हम कोई नयी बात दे सकें तो भारत का बहुत बड़ा योग होगा, अनुदान होगा । मैंने कहायह तो संभव है, क्योंकि आज जीन की खोजों के द्वारा जो हो रहा है, उसकी कर्मशास्त्र में बहुत विस्तार से चर्चाएं हुई हैं । कर्म-प्रकृतियों को जानने वाला, कर्मशास्त्र का अच्छा अध्येता व्यक्ति इन सारे रहस्यों को समझ सकता है, जो रहस्य आज जिनेटिक इंजीनियरिंग में समझे जा रहे हैं |
मुझे कोई आश्चर्य नहीं लगता कि यदि भावना का वैसा प्रयोग किया जाए तो इच्छित सन्तान प्राप्त की जा सकती है । ज्ञातासूत्र को पढ़ने वाला हर व्यक्ति जानता है कि एक गर्भवती स्त्री के लिए कितने निर्देश दिए गए हैं | ज्ञातासूत्र ग्यारह अंगों में छठा अंग है । उसका पहला अध्ययन हैमेघकुमार | उस अध्ययन में मेघकुमार का प्रसंग है । वहां गर्भ का प्रसंग है, गर्भिणियों का वर्णन है । इतना वैज्ञानिक वर्णन है कि मां को कैसे उठना, बैठना, चलना, खाना तथा किस प्रकार का विचार करना चाहिए । पूरा सांगोपांग वर्णन है । क्योंकि उस अवस्था में माता का जिस प्रकार का विचार, भाव, व्यवहार होता है वैसा ही प्रतिबिम्ब बच्चे पर पड़ता है । कुछ वैज्ञानिकों ने प्रयोग किया कि एक कमरा बिलकुल नीले रंग से रंग दिया । चारों तरफ नीला ही नीला रंग । खरगोश के एक जोड़े को वहां छोड़ा गया । जब बच्चा
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जैन धर्म के साधना सूत्र
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