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स्तर पर इसका व्यवसाय करने वाले लोग बड़ी-बड़ी मशीनें लगा कर करोड़पति बन गए । वे देश-विदेश में इसका निर्यात करने लगे हैं । आकर्षण इसका मुख्य हेतु है । जब वीतराग के प्रति आस्था प्रबल बनती है, दर्शन विशुद्ध बनता है । दर्शन की विशुद्धि से संघ और शासन भी निर्मल बनता है, पवित्र बनता है । यह निर्मलता मानव मन को निर्मल बनाने में अभिप्रेरक बनती
है ।
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जैन धर्म के साधना सूत्र
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