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कर रहे ये । चण्डकौशिक का क्रोध शान्त हो गया । वह स्वस्थ बन गया ।
मेघकुमार भगवान् महावीर के पास दीक्षित हुआ और वह पहली रात बीमार हो गया । उसका चित्त हीनभावना से आक्रांत हो गया । उसने सोचा- मुझे यहां कोई पूछता ही नहीं । अहंकार के शिखर पर चढ़ा हुआ राजकुमार था वह । मुनियों के पैरों के स्पर्श से उसकी निद्रा भंग हो गई । ही भावना जाग गई । हीन भावना से ग्रस्त व्यक्ति बहुत बीमार हो जाता है । एक व्यक्ति ने पत्र में अपनी समस्या लिखी 'मैं कारण अकारण ही
- भावना से ग्रस्त हो जाता हूं । अनेक बार मन में आत्महत्या करने का विकल्प उठ जाता है । मुझे क्या करना चाहिए ? मेघकुमार ने आत्महत्या काही प्रयत्न किया । साधुत्व को त्यागने का संकल्प ले लिया । महावीर ने मेघकुमार की मनःस्थिति को जाना । महावीर ने पूर्व जन्म का रेखाचित्र खींचा - मेघ! तू पूर्व भव में हाथी था । तुमने कितने कष्ट सहे । आज थोड़ेसे कष्टों में तू अधीर हो गया । यह उपाय कारगर हो गया । मेघ को पूर्वजन्म की स्मृति हो आई । वह स्वस्थ बन गया, बीमारी मिट गई ।
आचार : पांच आयाम
आचार्य उपाय को जानता है । उपाय की दिशा में आचार का विस्तार होता है । जैन आचार -मीमांसा में आचार शब्द बहुत व्यापक है । जितना व्यापक संदर्भ जैन आचार-मीमांसा का है, उतना किसी अन्य आचार मीमांसा में नहीं मिलता । जैन-दर्शन में आचार के पांच प्रकार बतलाए गए हैं
१. ज्ञान आचार
२. दर्शन आचार
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४. तप आचार
५ वीर्य आचार
३. चरित्र आचार
आचार के ये पांच आयाम हैं । आचार्य इन पांचों आचारों का निर्वहन करता है ।
ज्ञान आचार
स्वयं सूत्रधर होना और दूसरों को सूत्रधर बनाना, आचार्य का बहुत
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जैन धर्म के साधना -सूत्र
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