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४. लोच प्रकरण
प्रश्न १. लोच का आगमों में कहां कहां उल्लेख मिलता है? उत्तर-उत्तराध्ययन, निशीथ और दशाश्रुतस्कंध सूत्रों में लोच के बारे में उल्लेख
प्राप्त होता है। प्रश्न २. लोच परीषह में क्यों नहीं है? उत्तर-जो निरन्तर सहन करना पड़ता है, वह परीषह कहलाता है जबकि लोच
वर्ष में एक या दो बार करवाना पड़ता है। प्रश्न ३. लोच किसे कहते हैं? उत्तर-हाथ से केशों को उतारना लोच कहलाता है। प्रश्न ४. लोच कब किया जाता है ? उत्तर-पर्युषण पर्व (संवत्सरी) से पूर्व लुंचन होना अनिवार्य है। वर्ष में दो बार या
तीन बार कराना अपनी-अपनी इच्छा पर निर्भर है। प्रश्न ५. दाढ़ी और मूंछ का लोच कितनी बार किया जाता है? उत्तर-पर्युषण पर्व पर तो अनिवार्य है ही। शेष अपनी इच्छा पर। तीन, चार या
पांच जितनी बार कराएं वह अपनी-अपनी इच्छा है। प्रश्न ६. केश लोच के समय राख का उपयोग क्यों किया जाता है ? उत्तर-लोच करते समय हाथ से केश न छूटे और रूं तोड़ न हो क्योंकि राख
एन्टीसेफ्टिक है। प्रश्न ७. लोच स्वयं करना होता है या दूसरे साधु का सहयोग भी ले सकते
उत्तर-स्वयं भी कर सकते हैं, दूसरों से भी करवा सकते हैं।
१. निशीथ १०/३८
२. निशीथ १०/३८
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