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साधु प्रकरण
३. पांच वर्ष की दीक्षा पर्याय वाले श्रमण-निर्ग्रन्थ को दशा, कल्प, व्यवहार सूत्र पढ़ना कल्पता है। ४. आठ वर्ष की दीक्षा पर्याय वाले श्रमण-निर्ग्रन्थ को स्थानांग और समवायांग सूत्र पढ़ना कल्पता है। ५. दस वर्ष की दीक्षा पर्याय वाले श्रमण-निर्ग्रन्थ को व्याख्या प्रज्ञप्ति (भगवती सूत्र) नामक अंग पढ़ना कल्पता है। ६. ग्यारह वर्ष की दीक्षा पर्याय वाले श्रमण-निर्ग्रन्थ को क्षुल्लिका, विमानप्रविभक्ति, महल्लिका विमानप्रविभक्ति, अंगचूलिका, वर्गचूलिका
और व्याख्याचूलिका नामक अध्ययन पढ़ना कल्पता है। ७. बारह वर्ष की दीक्षा पर्याय वाले श्रमण-निर्ग्रन्थ को अरुणोपपात, वरुणोपपात, गरुडोपपात, धरणोपपात, वैश्रमणोपपात, बेलन्धरोपपात, नामक अध्ययन पढ़ना कल्पता है। ८. तेरह वर्ष की दीक्षा पर्याय वाले श्रमण-निर्ग्रन्थ को उत्थानश्रुत, समुत्थानश्रुत, देवेन्द्रपरियापनिका और नागपरियापनिका नामक अध्ययन पढ़ना कल्पता है। ९. चौदह वर्ष की दीक्षा पर्याय वाले श्रमण-निर्ग्रन्थ को स्वप्न भावना नामक अध्ययन पढ़ना कल्पता है। १०. पन्द्रह वर्ष की दीक्षा पर्याय वाले श्रमण-निर्ग्रन्थ को चारण-भावना नामक अध्ययन पढ़ना कल्पता है। ११. सोलह वर्ष की दीक्षा पर्याय वाले श्रमण-निर्ग्रन्थ को तेजोनिसर्ग नामक अध्ययन पढ़ना कल्पता है। १२. सत्तरह वर्ष की दीक्षा पर्याय वाले श्रमण-निर्ग्रन्थ को आसीविष भावना नामक अध्ययन पढ़ना कल्पता है। १३. अठारह वर्ष की दीक्षा पर्याय वाले श्रमण-निर्ग्रन्थ को दृष्टिविष भावना नामक अध्ययन पढ़ना कल्पता है। १४. उन्नीस वर्ष की दीक्षा पर्याय वाले श्रमण-निर्ग्रन्थ को दृष्टिवाद नामक अध्ययन पढ़ना कल्पता है। . .. १५. बीस वर्ष की दीक्षा पर्याय बाला श्रमण-निग्रंथ सर्वश्रुत को धारण करनेवाला हो जाता है।
१. व्यवहार सूत्र १०/२३-३६
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