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________________ ४६ साध्वाचार के सूत्र प्रश्न २१२. साधुओं को किन-किन बातों का विशेष प्रयत्न करना चाहिये? उत्तर-आगमानुसार साधुओं को में इन आठ बातों के विषय में अधिक से अधिक उद्यम एवं प्रयत्न करना चाहिए है-१. न सुने हुए धर्म को सुनने का प्रयत्न २. सुने हुए धर्म को ग्रहण करने एवं याद रखने का प्रयत्न ३. संयम द्वारा नए कर्मों को रोकने का प्रयत्न ४. तपस्या द्वारा पूर्वकृत कों की निर्जरा का प्रयत्न ५. नये शिष्यों का संग्रह का प्रयत्न ६. नये शिष्यों को साधु का आचार एवं गोचर (गोचरी के भेद) सिखाने का प्रयत्न ७. ग्लान साधुओं की अग्लान-भाव से सेवा करने का प्रयत्न ८. साधर्मिक साधुओं में परस्पर कलह होने पर निष्पक्ष रहकर उसे शान्त करने का प्रयत्न।' प्रश्न २१३. साधुओं के सत्ताईस गुण कौन-कौन से है ? उत्तर-सत्ताईस गुण इस प्रकार हैं-१-५. पांच महाव्रत ६-१०. पांच इन्द्रिय ११-१४. चार कषाय विजय १५. भावसत्य १६. करणसत्य १७. योगसत्य १८. क्षमा १९. वैराग्य २०. मनःसमाधारणता-मन को शुभ (निरवद्य) विचारों में स्थापित करना २१. वचनसमाधारणता-शुभ वचन बोलना २२. कायसमाधारणता-शरीर को शुभ कार्यों में स्थापित करना २३. ज्ञानसम्पन्नता २४. दर्शनसम्पन्नता २५. चारित्रसम्पन्नता २६. वेदना (कष्ट) को समभाव से सहन करना २७. मृत्यु को समभाव से सहन करना। प्रश्न २१४. साधु को पंचेन्द्रिय-निग्रह क्यों कहा है? उत्तर-साधु श्रोत्रेन्द्रिय आदि ५ इन्द्रियों के २३ विषय और २४० विकार के प्रति राग-द्वेष न आए इसके लिए सतत प्रयत्नशील रहता है। अतः साधु पंचेन्द्रिय-निग्रह कहलाता है। प्रश्न २१५. भाव सत्य का क्या अर्थ है ? उत्तर-अंतरात्मा को शुद्ध रखना। प्रश्न २१६. करण सत्य से क्या तात्पर्य है ? उत्तर-कार्य की प्रामाणिकता। प्रश्न २१७. योग सत्य क्या है? उत्तर-योग-मन, वचन, काया की विशुद्धि। प्रश्न २१८. साधुओं की इक्कीस उपमाएं कौन-कौन सी हैं ? उत्तर-साधुओं की इक्कीस उपमाएं इस प्रकार हैं-१. साधु कांसी के पात्रवत् १. स्थानांग ८/१११ २. समवाओ २७/१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003051
Book TitleSadhwachar ke Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajnishkumarmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2011
Total Pages184
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size6 MB
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