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साध्वाचार के सूत्र उत्तर-अंतिम चार–उपशांतमोह गुणस्थान, क्षीणमोह गुणस्थान, सयोगी केवली
गुणस्थान, अयोगी केवली गुणस्थान ।। प्रश्न १६६. यथाख्यात चारित्र में जीव के भेद कितने पाये जाते हैं ? उत्तर-एक-चौदहवां (संज्ञी पञ्चेन्द्रिय का पर्याप्त)। प्रश्न १६७. यथाख्यात चारित्र में योग कितने पाये जाते हैं? उत्तर-सात (७)-सत्य मन, व्यवहार मन, सत्य भाषा, व्यवहार भाषा,
औदारिक काय योग, औदारिक मिश्र काय योग, कार्मण काय योग। प्रश्न १६८. यथाख्यात चारित्र में उपयोग कितने पाये जाते हैं? उत्तर-नौ-पांच ज्ञान, चार दर्शन। प्रश्न १६६. यथाख्यात चारित्र में भाव कितने पाये जाते हैं ? उत्तर-पांच-औदयिक, औपशमिक, क्षायिक, क्षायोपशमिक, पारिणामिक भाव। प्रश्न २००. यथाख्यात चारित्र में आत्मा कितनी होती है ? उत्तर-सात-द्रव्य आत्मा, योग आत्मा, उपयोग आत्मा, ज्ञान आत्मा, दर्शन
आत्मा, चारित्र आत्मा और वीर्य आत्मा। प्रश्न २०१. यथाख्यात चारित्र में दण्डक कितने पाये जाते हैं ? उत्तर-एक-इक्कीसवां (मनुष्य पञ्चेन्द्रिय)। प्रश्न २०२. यथाख्यात चारित्र में वीर्य कौनसा होता हैं? उत्तर-एक–पंडित वीर्य । प्रश्न २०३. यथाख्यात चारित्र में लब्धि कितनी पाई जाती है। उत्तर-पांच-दान, लाभ, भोग, उपभोग, वीर्य । प्रश्न २०४. यथाख्यात चारित्र में पक्ष कितने पाये जाते हैं? उत्तर-एक-शुक्ल पक्ष । प्रश्न २०५. यथाख्यात चारित्र में दृष्टि कितनी पायी जाती हैं ? उत्तर-एक-सम्यक् दृष्टि।११ प्रश्न २०६. यथाख्यात चारित्र का आराधक भवी या अभवी? १. २१ द्वार
७. वही २. वही
८. वही ३. वही
६. वही ४. वही
१०. वही ५. वही
११. वही ६. वही
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