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________________ साधु प्रकरण ___ ४१ प्रश्न १६३. सूक्ष्मसंपराय चारित्र में कौन सी लेश्या पाई जाती है ? उत्तर-एक-शुक्ल लेश्या।' प्रश्न १६४. सूक्ष्मसंपराय चारित्र में कितने समुद्घात होते हैं? उत्तर-एक भी नहीं। प्रश्न १६५. सूक्ष्मसंपराय चारित्र का साधक उत्कृष्ट कितने पूर्व का ज्ञाता होता है ? उत्तर-१४ पूर्व का। प्रश्न १६६. सूक्ष्मसंपराय चारित्र का साधक आराधक होने पर कौन से देवलोक तक जा सकता है। उत्तर-पांच अनुत्तर विमान । प्रश्न १६७. सूक्ष्मसंपराय चारित्र कितने भवों में प्राप्त हो सकता है? उत्तर-जघन्य एक भव, उत्कृष्ट तीन भव। प्रश्न १६८. सूक्ष्मसंपराय चारित्र एक भव की अपेक्षा कितनी बार प्राप्त हो सकता है ? उत्तर-जघन्य एक बार, उत्कृष्ट चार बार । प्रश्न १६६. सूक्ष्मसंपराय चारित्र तीन भव की अपेक्षा कितनी बार प्राप्त हो सकता है? उत्तर-नौ बार। प्रश्न १७०. सूक्ष्मसंपराय चारित्र की एक जीव की अपेक्षा स्थिति कितनी होती है? उत्तर-जघन्य एक समय, उत्कृष्ट अंतर्मुहुर्त । प्रश्न १७१. सूक्ष्मसंपराय चारित्र में कौन सा गुणस्थान होता है ? उत्तर-एक-सूक्ष्मसंपराय गुणस्थान (दसवां)। प्रश्न १७२. सूक्ष्मसंपराय चारित्र में जीव का भेद कौन सा पाया जाता हैं ? उत्तर-एक-चौदहवां (संज्ञी पञ्चेन्द्रिय का पर्याप्त)। प्रश्न १७३. सक्ष्मसंपराय चारित्र में योग कितने पाये जाते हैं? उत्तर–पांच-सत्य मन, व्यवहार मन, सत्य भाषा, व्यवहार भाषा, औदारिक __काय योग। १. भगवती २५/७/५०२ ४. २१ द्वार २. भगवती २५/७/५४२ ५. २१ द्वार ३. भगवती २५/७/४८१ ६. २१ द्वार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003051
Book TitleSadhwachar ke Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajnishkumarmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2011
Total Pages184
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size6 MB
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