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साध्वाचार के सूत्र
प्रश्न १५३. परिहारविशुद्धि में शरीर कितने पाये जाते है ? उत्तर-तीन-आदारिक, तैजस, कार्मण ।' प्रश्न १५४. परिहारविशुद्धि चारित्र में आत्मा कितनी? उत्तर-आठ-द्रव्य आत्मा, कषाय आत्मा, योग आत्मा, उपयोग आत्मा, ज्ञान
आत्मा, दर्शन आत्मा, चारित्र आत्मा और वीर्य आत्मा।२ प्रश्न १५५. परिहारविशुद्धि चारित्र में दण्डक कितने पाये जाते हैं ? उत्तर-एक-इक्कीसवां (मनुष्य पञ्चेन्द्रिय)। प्रश्न १५६. परिहारविशुद्धि चारित्र में वीर्य कितने पाये जाते हैं ? उत्तर-एक-पंडित वीर्य। प्रश्न १५७. परिहारविशुद्धि चारित्र में लब्धि कितनी पाई जाती है। उत्तर-पांच-दान, लाभ, भोग, उपभोग, वीर्य। प्रश्न १५८. परिहारविशुद्धि चारित्र में पक्ष कितने ? उत्तर-एक-शुक्ल पक्ष । प्रश्न १५६. परिहारविशुद्धि चारित्र में दृष्टि कितनी पायी जाती हैं ? उत्तर-एक-सम्यक् दृष्टि। प्रश्न १६०. परिहारविशुद्धि चारित्र का साधक भवी या अभवी? उत्तर-भवी। प्रश्न १६१. सूक्ष्मसंपराय चारित्र का अर्थ क्या है? उत्तर–सम्पराय का अर्थ कषाय है। जिस चारित्र में सूक्ष्मसंपराय अर्थात्
संज्वलनकषाय (लोभ) का सूक्ष्म-अंश रहता है उसको सूक्ष्मसंपराय
चारित्र कहते हैं। प्रश्न १६१. सूक्ष्मसंपराय चारित्र में कितने ज्ञान पाये जाते हैं? उत्तर-प्रथम चार ज्ञान-१. मतिज्ञान २. श्रुतज्ञान ३. अवधिज्ञान ४. मनःपर्यव
ज्ञान। प्रश्न १६२. सूक्ष्मसंपराय चारित्र में शरीर कितने पाये जाते हैं ? उत्तर-तीन शरीर-औदारिक, तैजस, कार्मण।१० १. भगवती २५/७/४७६
६. २१ द्वार २. २१ द्वार
७. २१ द्वार ३.२१ द्वार
८.२१द्वार ४. २१ द्वार
६. भगवती २७/७/४६६ ५. २१ द्वार
१०. भगवती २५/७/४७६
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