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साध्वाचार के सूत्र २. दर्शन कुशील-निष्कांक्षित आदि दर्शनाचार की प्रतिपालना नहीं करने वाला। ३. चारित्र कुशील-कौतुक, भूतिकर्म, प्रश्नाप्रश्न, निमित्त, आजीविका, कल्ककरुका, लक्षण, विद्या तथा मंत्र का प्रयोग करने वाला। ४. लिंग कुशील-वेष से आजीविका करने वाला। ५. यथा सूक्ष्म कुशील-अपने को तपस्वी आदि कहने से हर्षित होने
वाला। प्रश्न ३६. कषाय कुशील निर्ग्रन्थ में ज्ञान कितने पाये जाते हैं ? उत्तर-चार-केवलज्ञान को छोड़कर। प्रश्न ४०. कषाय कुशील निर्ग्रन्थ में चारित्र कितने पाये जाते हैं? उत्तर-चार-यथाख्यात चारित्र को छोड़कर। प्रश्न ४१. कषाय कुशील निर्ग्रन्थ में शरीर कितने पाये जाते हैं? उत्तर-शरीर पांच औदारिक, वैक्रिय, आहारक, तैजस और कार्मण।' प्रश्न ४२. कषाय कुशील निर्ग्रन्थ में समुद्घात कितने पाये जाते हैं? उत्तर-छह केवली समुद्घात को छोड़कर।' प्रश्न ४३. कषाय कुशील निर्ग्रन्थ आराधक अवस्था में काल धर्म प्राप्त कर
कौन से देवलोक तक जा सकते हैं? उत्तर-छब्बीसवें देवलोक तक। प्रश्न ४४. कषाय कुशील निर्ग्रन्थ उत्कृष्ट कितने भवों में होता हैं? उत्तर-आठ भवों में। प्रश्न ४५. कषाय कुशील निर्ग्रन्थ की दशा एक जन्म की अपेक्षा कितनी
बार प्राप्त हो सकती है? उत्तर-उत्कृष्ट नौ सौ बार। प्रश्न ४६. कषाय कुशील निर्ग्रन्थ की दशा आठ जन्मों की अपेक्षा कितनी
बार प्राप्त हो सकती है? १. ठाणं ५/१८७
५. भगवती २५/६/४३७ २. भगवती २५/६/३१३
६. भगवती २५/६/४३७ ३. भगवती २५/६/३०५
७. भगवती २५/६/४१४ ४. भगवती २५/६/३२५
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