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साध्वाचार के सूत्र
प्रश्न २४. उत्सर्ग समिति किसे कहते हैं ? उत्तर-उच्चार प्रस्रवण आदि का संयमपूर्वक परिष्ठापन करना। प्रश्न २५. गुप्ति किसे कहते है ? उत्तर-आत्मरक्षा के लिए अशुभ-योगों को रोकना, सम्यक् रूप से मन, वचन
और काय योग का निग्रह करना गुप्ति है। प्रश्न २६. समिति-गुप्ति में क्या संबंध हैं? उत्तर-जैसे-देख-देखकर यतनापूर्वक चलना ईर्यासमिति है। असंयम पूर्वक न
चलना या निश्चल होकर ध्यान कर लेना कायगुप्ति है। निरवद्यभाषा विचारपूर्वक बोलना भाषा समिति है। भाषा का निरोध करना या मौन रखना वचनगुप्ति है। तत्त्व यही है कि समिति प्रवृत्तिरूप और गुप्ति
निवृत्तिरूप । समिति में गुप्ति अनिवार्य है। गुप्ति में समिति वैकल्पिक है। प्रश्न २७. तीन गुप्तियों का स्वरूप किस प्रकार है ? उत्तर-गुप्तियां तीन है-मनोगुप्ति, वचनगुप्ति, कायगुप्ति। . १. मनोगुप्ति-आर्त-रौद्र ध्यान तथा संरम्भ (जीव हिंसा का विचार
करना), समारम्भ (जीवों को दुःख देना), आरम्भ (जीवों को मार डालना) संबंधी संकल्प-विकल्पों को रोकना एवं शुभयोगों का निरोध करके योगनिरोध अवस्था को प्राप्त करना मनोगुप्ति है। मनोगुप्ति के चार भेद हैं:-१. सत्यमनोगुप्ति २. असत्यमनोगुप्ति ३. मिश्रमनोगुप्ति ४. व्यवहारमनोगुप्ति । २. वचनगुप्ति-वचन के अशुभ व्यापार का अर्थात् संरम्भ, समारम्भ
और आरम्भ संबंधी वचनों का त्याग करना, विकथा से बचना तथा सर्वथा मौनव्रत स्वीकार करना वचनगुप्ति है। इसके भी मनोगुप्तिवत्
चार भेद हैं।६ ३. कायगुप्ति-खड़ा होना, बैठना, उठना, सोना, लांघना, सीधा चलना, इंद्रियों को अपने-अपने विषयों में लगाना, संरम्भ, समारम्भ, आरम्भ में प्रवृत्ति करना इत्यादि कायिक व्यापारों से निवृत्त होना या निरोध करना।
१. उत्तरा. २४/१५ २. उत्तरा. २४/२६ ३. उत्तरा. २४/२५ ४. स्था.३/१/१६
५. उत्तरा. २४/२०-२१ ६. उत्तरा. २४/२२-२३ ७. उत्तरा. २४/२४-२५, स्था. ३/१/२१
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